झूठी रिपोर्ट लिखाने वाले लखनऊ के वकील को 7 साल की कैद व जुर्माना
जमीन विवाद के चलते सहदेव ने सत्यनारायण और उसके पुत्र के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अदालत ने सहदेव को दोषी ठहराते हुए सात साल की कैद और दो लाख एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने आगे कहा...

जमीन की रंजिश के चलते जेल में बंद व्यक्ति के खिलाफ लूट और एससी/एसटी ऐक्ट में झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने के आरोपित सहदेव को दोषी ठहराते हुए एससी/एसटी ऐक्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सात साल की कैद और दो लाख एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी को दंडित करते हुए अपने निर्णय में मनुस्मृति के श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा कि जिस सभा में सभासदों के सामने ही धर्म और असत्य से सत्य मारा जाता है, वहां उस पाप से सभासद ही नष्ट हो जाते हैं और अधर्म के चौथे भाग के भागीदार बन जाते हैं। अदालत ने कहा कि किसी आपराधिक मामले में वादी किसी मुकदमे का सबसे महत्वपूर्ण साक्षी होता है और उसको झूठा मुकदमा नहीं दर्ज कराना चाहिए। इस मामले में वादी सहदेव ने अपने जमीन विवाद में विपक्षी सत्यनारायण और उसके पुत्र संजय के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया है। निर्णय में कहा गया है कि सहदेव ने इसके पहले भी दूसरे लोगो के खिलाफ एससी/एसटी ऐक्ट के लगभग 10 मुकदमे दर्ज कराए हैं।
पत्रावली के अनुसार सहदेव ने कोर्ट के जरिए 12 अप्रैल 2024 को गाजीपुर थाने में विपक्षी सत्यनारायण और उसके पुत्र संजय के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें कहा गया था कि 16 दिसंबर 2023 को दोनों लोगों ने 20 हजार रुपये और मोबाइल लूट लिए। पुलिस ने तहरीर के आधार पर एससीएसटी एक्ट में भी मुकदमा दर्ज कर लिया था। तत्कालीन सीओ विकास जायसवाल ने विवेचना के दौरान पाया कि जिस दिन सहदेव ने लूट का दावा किया है उस समय सत्यनारायण अन्य मुकदमे में जिला कारागार में बंद था। लिहाजा पुलिस ने मामले को समाप्त कर दिया और क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट को भेज दी।
कोर्ट ने वाद दर्ज कर सुनवाई की
पुलिस की रिपोर्ट पर कोर्ट ने सहदेव के खिलाफ वाद दर्ज करके सुनवाई की। अदालत में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि सहदेव अनुसूचित जाति से है। उसके द्वारा पहले भी कई लोगों के खिलाफ लगभग दस मुकदमें दर्ज कराए गए हैं। उन सभी मुकदमों में विवेचकों ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी है। आगे कहा गया कि इस्माइलगंज में आरोपी सहदेव ने एक प्लॉट खरीदा था और उसके संबंध में वजीरगंज थाने में सत्यनारायण के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें सत्यनारायण 13 अगस्त 2021 को जेल गए और 12 अप्रैल 2023 को रिहा होकर घर आए। इस मामले में सत्यनारायण की जमानत दो माह पहले ही हो गई थी, लेकिन जमानतदार न होने कारण वह जेल से बाहर नहीं आ पाए थे।
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