अरे डरपोकों!

हिमांशु कुमार

Mar 27, 2025 - 21:24
Mar 29, 2025 - 22:22
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अरे डरपोकों!

अरे डरपोकों! वॉल पर बाबा साहब, भगत सिंह, महात्मा गांधी या फूलन देवी का फोटो लगाना आसान है, लेकिन जब वाकई में सरकार से सवाल पूछने का टाइम आता है तो तुम लोग भाग खड़े होते हो छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2023 में भाजपा फिर से सत्ता में आई 1 महीने बाद 1 जनवरी 2024 को 6 महीने की आदिवासी बच्ची को पुलिस ने गोली से उड़ा दिया साल भर में 14 साल की एक लड़की को गोली से उड़ाया गया 16 साल की गूंगी लड़की को बलात्कार करने के बाद गोली से मार दिया गया अब तक लगभग 400 आदिवासियों की हत्या की गई, जिसमें लगभग 140 महिलाएँ  हैं अगर हम सरकार के दावे को भी सच मान लें जिसमें सरकार ने कहा है कि मारे गए सभी आदिवासी माओवादी हैं तो भी एक साल में 140 महिलाओं की सरकार द्वारा हत्या बहुत बड़ी बात है अगर सरकारी दावे को मान भी लिया जाए कि सभी मारी गई महिलाएँ  नक्सलवादी हैं तो भी कई गंभीर सवाल उठते हैं - 140 महिलाएँ  जो मारी गई आखिर क्या कारण है कि उन्हें बंदूक उठाकर सरकार के खिलाफ लड़ने को मजबूर होना पड़ा?
            कोई महिला सिर्फ शौक के लिए बंदूक नहीं उठाती और ना ही सरकार के खिलाफ लड़कर अपनी जान देने के लिए तैयार हो जाती है
  इसका अर्थ है कि उस इलाके में इस तरह की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक परिस्थितियाँ विद्यमान है जिसके कारण महिलाओं को उन समस्याओं के विरूद्ध हथियार उठाने पड़ रहे हैं लोकतांत्रिक देश की सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी परिस्थितियों का समाधान करे जिसके कारण उस देश की महिलाओं को खुद हथियार उठाकर उन परिस्थितियों को बदलने की कोशिश करनी पड़ रही हो बजाय ऐसी सामाजिक आर्थिक राजनीतिक परिस्थितियों का समाधान करने के भारत सरकार ने आदिवासी महिलाओं की हत्या करने का विकल्प चुना और बड़े पैमाने पर आदिवासी महिलाओं की लाशें जंगल में गिरा दीं

भारत के आदिवासी संगठन, आदिवासी महिलाओं की इस बड़ी संख्या में हत्याओं पर क्यों चुप है?
वामपंथी दल इस मुद्दे पर क्यों चुप है?
भारत का नारीवादी आंदोलन और महिला संगठन इस मुद्दे पर क्यों चुप है?
आखिर कौन सा डर है, कौन सी हिचक है जो हमें लोकतंत्र को बचाने के जायज सवाल पूछने से रोक रहा है?
क्या राष्ट्र की चुनी हुई सरकार द्वारा अपने ही देश की आदिवासी महिलाओं की इतनी बड़ी संख्या में हत्याएँ हमारे समाज में कोई प्रश्न पैदा नहीं करती?
स्रोत : हिमांशु कुमार फेसबुक वाल

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I