हिंदी और मोबाइल: गाँवों से ग्लोबल मंच तक, डिजिटल भारत में हिंदी की नई उड़ान

भारत में मोबाइल तकनीक का अभूतपूर्व विस्तार हिंदी भाषा के लिए एक नए युग की शुरुआत बन गया है। 83 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं वाले देश में हिंदी अब केवल संवाद की भाषा नहीं, बल्कि सूचना, शिक्षा, व्यवसाय और पत्रकारिता की ताकत बन चुकी है। ग्रामीण भारत से लेकर वैश्विक मंच तक हिंदी में कंटेंट उपभोग और निर्माण बढ़ रहा है। सोशल मीडिया से लेकर ऑनलाइन शिक्षा और महिला सशक्तिकरण तक, हिंदी डिजिटल दुनिया में भारत की सांस्कृतिक आत्मा को मजबूती से पेश कर रही है। यह बदलाव भारत में भाषाई नवजागरण का प्रतीक बनकर उभरा है।

Jun 13, 2025 - 22:00
Jun 16, 2025 - 17:05
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हिंदी और मोबाइल: गाँवों से ग्लोबल मंच तक, डिजिटल भारत में हिंदी की नई उड़ान
हिंदी और मोबाइल

भारत में तकनीक और भाषा का मेल अब एक नए सामाजिक-आर्थिक युग का सूत्रपात कर चुका है। जिस हिंदी भाषा को कभी सिर्फ साहित्य या घरेलू संवाद तक सीमित समझा जाता था, वह अब मोबाइल तकनीक के सहारे न केवल भारत, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी पहचान स्थापित कर रही है। यह कहानी है भारत के गाँवों से लेकर वैश्विक मंच तक हिंदी भाषा के डिजिटल नवजागरण की।

मोबाइल क्रांति: गाँव-गाँव तक हिंदी का विस्तार

भारत में मोबाइल तकनीक का प्रसार अभूतपूर्व रहा है। वर्ष 2023 तक भारत में 114.4 करोड़ मोबाइल ग्राहक हैं, जिनमें से 83 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि मोबाइल फोन अब शहरी विलासिता नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है।

हिंदी, जो Census 2011 के अनुसार लगभग 44% भारतीयों की मातृभाषा है, अब केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया की मजबूत भाषा बन चुकी है। गूगल और KPMG की 2017 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में हिंदी इंटरनेट उपभोक्ता अंग्रेजी उपभोक्ताओं की तुलना में चार गुना तेजी से बढ़ रहे हैं।

ग्रामीण भारत में डिजिटल हिंदी का प्रभाव

मोबाइल इंटरनेट की उपलब्धता और हिंदी में डिजिटल सामग्री ने भारत के गाँवों को तकनीकी मुख्यधारा से जोड़ दिया है। शेयरचैट, जोश, मोज, डेलीहंट जैसे ऐप्स ने विशेष रूप से हिंदी भाषी उपयोगकर्ताओं के लिए मंच तैयार किया है। ShareChat की 2022 रिपोर्ट के अनुसार इसके 180 मिलियन उपयोगकर्ताओं में 70% से अधिक हिंदी भाषी हैं।

आज किसान, कारीगर, छोटे व्यापारी और ग्रामीण महिलाएं मोबाइल ऐप्स के जरिए न केवल सूचनाएं साझा कर रहे हैं, बल्कि हिंदी में लोकल प्रोडक्ट्स का प्रचार भी कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, Josh ऐप पर 65% से अधिक कंटेंट हिंदी में है। यह बदलाव हिंदी को सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में डिजिटल आत्मनिर्भरता का औजार बना रहा है।

हिंदी में शिक्षा: गाँव के बच्चों तक ज्ञान की पहुँच

मोबाइल तकनीक और हिंदी भाषा का मेल शिक्षा के क्षेत्र में भी क्रांति लेकर आया है। DIKSHA, e-Pathshala, Byju’s और Vedantu जैसे ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों ने अब हिंदी में उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराई है।

DIKSHA पर हिंदी माध्यम में 2.5 लाख से अधिक ई-कंटेंट उपलब्ध हैं और 3 करोड़ से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ाई करने वाले लाखों विद्यार्थियों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं।

Byju’s ने वर्ष 2022 की अपनी रिपोर्ट में बताया कि ग्रामीण क्षेत्र से 60% से अधिक उपयोगकर्ता हिंदी माध्यम का चयन कर रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि हिंदी अब सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि ज्ञान और अवसरों की कुंजी बन गई है।

महिलाओं का डिजिटल सशक्तिकरण और हिंदी

मोबाइल तकनीक और हिंदी भाषा का मेल ग्रामीण महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी साधन बनकर उभरा है। Times of India की 2024 रिपोर्ट बताती है कि 80% ग्रामीण महिला उद्यमियों ने डिजिटल साक्षरता की कमी के बावजूद सोशल कॉमर्स प्लेटफार्मों का सफल उपयोग किया, जिसमें हिंदी की भूमिका निर्णायक रही।

राजस्थान के बाड़मेर की कमला देवी इसका उदाहरण हैं, जो सिर्फ आठवीं पास हैं, लेकिन आज ShareChat और WhatsApp के माध्यम से हिंदी में अपने उत्पादों का प्रचार कर ₹10,000 से अधिक मासिक आय कर रही हैं। यह महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण है कि जब तकनीक स्थानीय भाषा में उपलब्ध हो, तो वह सुलभ और प्रभावी बन जाती है।

हिंदी पत्रकारिता का लोकतंत्रीकरण

‘मोबाइल पत्रकारिता (MOJO)’ ने हिंदी पत्रकारिता को नए आयाम दिए हैं। अब गाँवों के युवा और महिलाएं भी अपने मोबाइल से वीडियो रिपोर्टिंग कर स्थानीय मुद्दों को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बना रहे हैं।

‘ख़बर लहरिया’, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित मीडिया संस्था, 25 लाख से अधिक YouTube सब्सक्राइबर के साथ इसका उदाहरण है। इनके वीडियो अब राष्ट्रीय मीडिया तक पहुँच रहे हैं।

‘गाँव कनेक्शन’ जैसे प्लेटफार्म गाँव की आवाज़ को संसद तक पहुँचा रहे हैं। हिंदी और मोबाइल तकनीक का यह मेल पत्रकारिता के लोकतंत्रीकरण का उदाहरण है।

वैश्विक मंच पर हिंदी का डिजिटल वर्चस्व

आज हिंदी भारत तक सीमित नहीं रही। प्रवासी भारतीयों और वैश्विक डिजिटल संस्कृति ने हिंदी को दुनिया भर में लोकप्रिय बना दिया है। Duolingo की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, 6.5 मिलियन अंतरराष्ट्रीय उपयोगकर्ता हिंदी सीख रहे हैं। अमेरिका, रूस, ब्राज़ील जैसे देशों में हिंदी का क्रेज़ तेजी से बढ़ा है।

Google Play Store और Apple Store पर Hindi News Live, Hindi Shayari, Hindi Radio जैसे हजारों ऐप्स उपलब्ध हैं, जिन्हें दुनिया भर से डाउनलोड किया जा रहा है। App Annie की 2023 रिपोर्ट के अनुसार, हिंदी आधारित ऐप्स के वैश्विक डाउनलोड 500 मिलियन से अधिक हो चुके हैं।

भविष्य का परिदृश्य: हिंदी का वैश्विक युग

हिंदी भाषा और मोबाइल तकनीक की साझेदारी आज सिर्फ तकनीकी सुविधा नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और भाषाई नवजागरण का प्रतीक बन चुकी है। भारत के गाँवों से लेकर वैश्विक मंच तक यह यात्रा हिंदी की गरिमा और उपयोगिता को पुनर्स्थापित कर रही है।

यदि यह गति जारी रही तो हिंदी भारत की सबसे बड़ी डिजिटल भाषा बनकर उभरेगी और आने वाले वर्षों में विश्व की प्रमुख डिजिटल भाषाओं में शामिल होगी।

निष्कर्ष:

मोबाइल ने हिंदी को डिजिटल दुनिया में पंख दिए हैं, और हिंदी ने तकनीक को गाँव-गाँव तक अपनी आत्मा दी है। यह केवल भाषा की नहीं, बल्कि भारत की पहचान की नई शुरुआत है।

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डॉ. शैलेश शुक्ला लेखक डॉ. शैलेश शुक्ला वैश्विक स्तर पर ख्याति प्राप्त वरिष्ठ लेखक, पत्रकार, साहित्यकार, भाषाकर्मी होने के साथ-साथ 'सृजन अमेरिका', 'सृजन ऑस्ट्रेलिया', 'सृजन मॉरीशस', 'सृजन मलेशिया', 'सृजन कतर', 'सृजन यूरोप' जैसी विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के वैश्विक प्रधान संपादक हैं। डॉ. शुक्ला द्वारा लिखित एवं संपादित 25 पुस्तकें, दिल्ली विश्वविद्यालय और इग्नू की बीए और एमए के पाठ्यक्रमों सहित कुल 30 से अधिक अध्याय विभिन्न पुस्तकों में 30 से अधिक शोध-पत्र, कविताओं, लेखों, कहानियों, व्यंग्यों सहित कुल 300 रचनाएं प्रकाशित हैं। डॉ. शैलेश शुक्ला भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा प्रदत्त 'राजभाषा गौरव पुरस्कार (2019-20)' और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की हिंदी अकादमी द्वारा ‘नवोदित लेखक पुरस्कार (2004)’ सहित विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मनों एवं पुरस्कारों से सम्मानित हैं।