बिरसा मुंडा पुण्यतिथि 2025: धरती आबा की आवाज आज भी सुनाई देती है
9 जून 1900 को रांची जेल में प्रथम आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का निधन हुआ। वे मात्र 25 वर्ष की अल्पायु में भारत के आदिवासी अधिकार आंदोलन को दिशा देने वाले नायक बन गए। ‘उलगुलान’ आंदोलन से लेकर ‘बिरसाइत’ धार्मिक सुधार तक, उनका जीवन सामाजिक न्याय, भूमि अधिकार और सांस्कृतिक आत्मनिर्णय की प्रतीक बन गया।

आदिवासी चेतना के जनक
जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड (उलिहातु) में; दुर्लभ औपचारिक शिक्षा हेतु उन्होंने ईसाई मिशन स्कूल में प्रवेश लिया, लेकिन शिक्षा नहीं, जागरूकता मिली। मिशनरी गतिविधियों, ब्रिटिश भूमि नीतियों और खोते संसाधनों से उनकी आदिवासी पहचान को बड़ा आघात लगा।
बिरसाइत धर्म और उलगुलान आंदोलन
1890 में उन्होंने ‘बिरसाइत’ नामक स्वदेशी धार्मिक विचारकता की नींव रखी ।
1899 में उन्होंने ‘उलगुलान – महान गहऱापन’ के नाम से अंग्रेजों और ठेकेदारों के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन शुरू किया।
आंदोलन का लक्ष्य स्पष्ट था – आदिवासी स्वशासन और जमीन, जंगल, पानी से संबंधों की पुनर्स्थापना।
ब्रितानी दबाव और गिरफ्तारी
पहली गिरफ्तारी 1895 में हुई; पर युवराज की तरह तेज वापसी। मार्च 1900 में जंगल में छिपते हुए पकड़े गए, और जून में रांची जेल में उनका 25 वर्ष की आयु में निधन, जिसे रहस्यमय माना गया।
कानूनी विजय और विरासत
गोली लगती नीति के तहत 1908 में ‘छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट’ बना, जिसने आदिवासियों की जमीन की रक्षा की। उनकी मृत्यु ने आदिवासी अधिकार आंदोलन को एक नई पहचान दी।
मानवीय और सामाजिक योगदान
उन्होंने आदिवासी समुदाय से मदिरा त्याग, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा का समर्थन करने को कहा ।
उनकी प्रेरणा आज भी सामाजिक समानता और आदिवासी जागरण का आधार बनी हुई है।
बिरसा की सूझबूझ और तल्ख प्रतिरोध ने आदिवासी भूखखंड, पारिस्थितिकी और पहचान की रक्षा की नींव रखी। वे सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं, बल्कि आदिवासियों के आत्मसम्मान, स्वशासन और मानवाधिकारों के प्रतीक बने रहे। आज जब आदिवासी समुदायों की लड़ाई जमीन, जंगल, और सांस्कृतिक स्वायत्तता की है, तब उनका संदेश हमें नये जोश, समानता की उम्मीद और संघर्ष की प्रेरणा देता है।
विरासत और आज का संदर्भ
1908 में प्राप्त 'छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट' ने आदिवासी जमीनों का संरक्षण सुनिश्चित किया। आज आदिवासी समुदाय में 'धरती आबा' की पूजा और राष्ट्रीय पहचान है। 'धरती आबा' के जन्मदिन 15 नवंबर को 2021में 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में घोषित किया गया।
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