चौंकाने वाली बातें : हरामखोर हंडिया थाना प्रभारी धर्मेन्द्र कुमार दूबे

 हंडिया थाना प्रभारी धर्मेन्द्र दूबे का संज्ञेय अपराध का केस न लिखने  उपजिलाधिकारी हंडिया के आदेश को न मानने के ऑडियो का ट्रांसक्रिप्ट

Feb 16, 2024 - 23:29
Apr 3, 2025 - 09:31
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थाना प्रभारी धर्मेन्द्र कुमार दुबे : आप मानते हो आप मानते हो ? क्यों आए उनके साथ?

वकील अशोक मिश्रा :  उनके साथ अभद्रता हुई।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : बताया क्यों नहीं इसने मुझे, बताया क्यों नहीं?

याची के वकील अशोक मिश्रा :  और ये लिखाए हैं  या एनके मारे है।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : आपने बताया?

वकील अशोक मिश्रा :  आज सुबह से मार गए हैं?

याची का छोटा भाई मनोज कुमार पाण्डेय : अठारह , सत्रह साल के है।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : भैया, ज्यादा तेज मत बोलो।  बात कर रहा हूँ, ठीक है। अलग स्थिति में बात करता हूँ, ठीक है। आपसे हम लोग बात करते मैं कह रहा हूँ। हम कल चलेंगे सुबह नौ बजे, कल सुबह चलेंगे।

वकील अशोक मिश्रा :  इसको ले लें।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : सीओ साहब को दे दो।

वकील अशोक मिश्रा :  मैं आपसे

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : अरे पहचाना? तुम नहीं पहचान रही हो मुझे? कहाँ पहचान है? मैं कहाँ मिला हूँ? कौन सा घर है तुम्हारा?

याचिकाकर्ता की चाची बिंदु देवी : अरे हमारे घर गए थे।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे :  हम बात कर लेंगे उससे। मनई कहाँ है?

याचिकाकर्ता की चाची बिंदु देवी : अरे ये, अभी वही हैं।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे :  ठीक हुए कि नहीं हुए थोड़ा?

बिंदु देवी : वही हाल है

धर्मेन्द्र कुमार दुबे :  अभी वही हाल है।

मनोज कुमार पाण्डेय : तालाब पर भी कब्जा किए हैं।

वकील अशोक मिश्रा :  जो तकलीफ है वही बताओ।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे :  कोई बात नहीं। मैं तो इसलिए मैंने डाटा क्यों आप ऐसे बोल रहे हो।  

वकील अशोक मिश्रा :  कह रहे हैं कि महिला को बुला के मुकदमा लिखा के सब कुछ ठीक कर देगी। कहते हैं मारी जाओगी अभी और मारी जाओगी।   

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : कल हम आते हैं, कल आएंगे, ठीक है, परेशान ना हो। उनको मैंने बोल दिया है कि जान लो आप। अच्छा ये जो पेड़-ओड जो कटा है, वो किसका था? तुम्हारा था श्वसुर का था वो?

बिंदु देवी : वो अपने से जामा था

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : जो जेसीबी से उखाड़ा गया है।

 बिंदु देवी : वह हमारे चाचा जी (नारायणधर) की जमीन है। चाचा वहाँ बनवाना चाह रहे थे। जबरदस्ती बंद करवा दिए।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : चलो कल आकर देख लूँगा। धैर्य पूर्वक कभी कभी थोड़ा सासमझ। उनको अगर इस चीज़ की दिक्कत थी न तो आप एक बार हमको इंटीमेट कर देते।  एक बार बताया तो कुछ नहीं सीधे जेसीबी-ओसीबी लेकर पहुँच गई।  

वकील अशोक मिश्रा :  जब विवाद हो तब तो बताएंगे।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : हो गया विवाद।

वकील अशोक मिश्रा :  एस डीएम का आर्डर है ये बनाएगी।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : काहे का ?

वकील अशोक मिश्रा :   निर्माण का। अपने मुँह में सब कहते हैं, जितने खातेदार है गवाही दे रहे हैं।

नारायण धर की पत्नी शांति देवी : सवेरे गाय बांध दी, जबरदस्ती। बेटवा से मरवाई।  

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : चलिए, फिलहाल जब तक हम नहीं मौका देखेंगे तब तक ये ऑर्डर हम फॉलो नहीं करेंगे। मौका देखूंगा।

तो ये जो कह रहे है उन्होंने कि एप्लीकेशन पे हम एक बार पहले बैठ के बात कर लेंगे, फिर हम निर्णय वही करा देंगे, ठीक है। जितने भी ओब्जेक्सन है, सब हम करा देंगे। हम करा देंगे सब, चलो जाओ परेशान न हो चलो, सब ठीक हो जाएगा।

वकील अशोक मिश्रा :  वो जो पक्षी है बंद कर दिए और उनके जवान लड़कों को नहीं लाए।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : अब आप देख लेना। परेशान न हो, कल सब देख लेंगे मौके पे जा के।

वकील अशोक मिश्रा :  और नाद-फाद हटा देना जो तुम्हारे बंद होने के बाद रखे हैं। गईया बाँध दिए हैं।  

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : ना, अब जैसे तुम हो वैसे रहो।

वकील अशोक मिश्रा :  अरे दोपहर में रखे हैं

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : मैं कह रहा हूँ न, जैसे है वैसे रहना; फिर झगड़ा हो जाएगा। हम कल मौका, कल हम देखेंगे ठीक है  अगर जहाँ जो जिसकी जहाँ थी वैसे रहेगी हम स्थापित करवा देंगे, परेशान न हो  न आपको डिस्टर्ब करेंगे, न उनको करेंगे। वकील अशोक मिश्रा :  कहाँ जाए जो ये लोग मार खाई हैं।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : अरे ले जाओ, अपने घर इनको।

वकील अशोक मिश्रा :  कुछ कारवाही करब ?

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : जाओ ले जाओं इनको अपने घर खिलाओ-पिलाओ।

 वकील अशोक मिश्रा :  ये इनकी माँ है ये बोली काहे नाद रख रहे हो, खूंटा गाड रहे हो? उनके दो लडके जिसको नाबालिग कहते हैं इनको धकेला, मारा।

 धर्मेन्द्र कुमार दुबे : चलो, कल सब देख लेंगे। आपकी बात को मानते है हम। कचहरी में बदनामी करवा दियो। किसी को नहीं सुनते हम आपकी बात नहीं सुनते सारे लोग कहते है भैया। दुनिया वाले यही कहते हैं।

वकील अशोक मिश्रा :  प्रदर्शन में थे? मैं आया भी नहीं।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : कोई भी नहीं गया। आप नहीं आये मुझे पता है। मैंने पूछा।

वकील अशोक मिश्रा :  हम नहीं

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : हमने कहा सुनो तुमको जितना धरना, प्रदर्शन करना है कर लीजिए। लेकिन, देखो लड़का जो कर रहा है उसको याद रखना तुम। हमने कहा लड़का जो तुम्हारा करता है वो सब पता है याद रखना इस चीज़ को।  कहता है - नहीं भैया, हमसे कोई मतलब नहीं है। हमसे तो कोई मतलब नहीं है। फलाना है ढिमाका है। ठीक है। कोई नहीं, गए थे वहाँ, हम गए थे वहाँ।

धर्मेन्द्र कुमार दुबे : मैंने उसे कहा था कि उसकी मेडिकल रिपोर्ट लाओ मुकदमा हटाकर बड़ी धारा लगा दूँगा।  लेकिन जब वो रायता फैला रहे हैं तब जाओ। अनकॉन्शियस कंडीशन में आप अस्पताल में नहीं हुए हैं। कोई भी आपके पास में नहीं है। तो हम बोलेंगे अब तक तो बयान में।  ऐसे में पंद्रह-पंद्रह दिन जेल में तो रह लेते। चलो तुम लोग बैठो बैठो।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I