हंडिया थाना प्रभारी पर संविधान की हत्या का आरोप: पीड़ित की दर्दनाक कहानी

हंडिया पुलिस पर घूसखोरी, फर्जी मुकदमे बनाने और संवैधानिक पद का दुरुपयोग करने के आरोप लग रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि उच्च अधिकारियों को शिकायतों की जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

Mar 29, 2025 - 22:50
Apr 15, 2025 - 09:13
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प्रयागराज, 15 अप्रैल 2025 : हंडिया थाना क्षेत्र में पुलिस की कथित मनमानी और भ्रष्टाचार की घटनाएँ लगातार सुर्खियाँ बटोर रही हैं। स्थानीय निवासियों ने पूर्व थाना प्रभारी धर्मेंद्र कुमार दूबे और वर्तमान प्रभारी बृज किशोर गौतम पर संविधान का दुरुपयोग और आम नागरिकों के उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। इनमें से एक प्रमुख पीड़ित, दिनेश चंद्र पाण्डेय, ने अपनी आपबीती साझा की है, जो पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाती है।

दिनेश पाण्डेय की दर्दनाक कहानी : दिनेश पाण्डेय का आरोप है कि 19 नवंबर 2022 को उनके भतीजे उज्जवल पर शैलेंद्र, अमन और सचिन मिश्रा ने हमला किया। अगले दिन जब दिनेश इसकी शिकायत लेकर दिनेश कुमार मिश्रा उर्फ़ बब्लू के घर गए तो उक्त लोगों ने उन पर जानलेवा हमला किया, जिसमें उनके सिर और पैर की हड्डी टूट गई। हंडिया थाने में खून से लथपथ दिनेश चंद्र पाण्डेय की शिकायत दर्ज करने के बजाय पुलिस ने उनका उपहास उड़ाया। दो दिन बाद मामूली धाराओं में केस दर्ज हुआ, लेकिन उसी समय उनके खिलाफ क्रॉस केस बनाकर उन्हें प्रताड़ित किया गया। 31 जनवरी 2023 को थाना प्रभारी धर्मेंद्र दूबे ने जबरन समझौता करवाकर केस खत्म कर दिया।

पुलिस की कथित ज्यादतियाँ: दिनेश के अनुसार, धर्मेंद्र दूबे ने उन्हें फर्जी मुकदमों में फँसाने  की धमकी दी और सोशल मीडिया पर शिकायत करने पर आपराधिक मानहानि का केस दर्ज किया। इसके अलावा, उनके भाई महेश पाण्डेय पर गाड़ी चढ़ाने की घटना और अवैध हथियारों के साथ हमले की शिकायतों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की। 12 जुलाई 2023 को एक नाबालिग के एक्सीडेंट के मामले में दिनेश चंद्र पाण्डेय के भाई महेश चंद्र पाण्डेय को गलत तरीके से हिरासत में रख लिया और 40,000 रुपये की उगाही की गई।

हाल की घटनाएँ और अनशन: 24 अगस्त 2024 को सुशील कुमार पाण्डेय द्वारा हंडिया थाने के भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन की घोषणा के बाद पुलिस ने आनन-फानन में कुछ शिकायतें दर्ज कीं, लेकिन बाद में सुशील और दिनेश पर ही दबाव बनाया गया। 26 अगस्त 2024 को सुशील पाण्डेय के परिवार पर हमले और उनके चाचा की मृत्यु के बाद पुलिस ने स्वरूपरानी अस्पताल से सुशील पाण्डेय और अन्य को कथित तौर पर अपहरण कर हंडिया थाने में बंद कर दिया और सुशील पाण्डेय के मृत चाचा के पोस्टमार्टम को मैनेज करवाया। उसी दिन दिनेश चंद्र पाण्डेय के घर में रात लगभग 8 बजे सादे ड्रेस में घुसकर पुलिसकर्मियों  ने उनकी पत्नी और बेटी के साथ दुर्व्यवहार किया, और दिनेश को पेट में चाकू घुसाकर व बुरी तरह मारपीट कर हंडिया थाना के कैदखाना में डाल दिया।

सवालों के घेरे में पुलिस प्रशासन: हंडिया पुलिस पर घूसखोरी, फर्जी मुकदमे बनाने और संवैधानिक पद का दुरुपयोग करने के आरोप लग रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि उच्च अधिकारियों को शिकायतों की जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। दिनेश चंद्र पाण्डेय ने सवाल उठाया कि क्या थाना प्रभारी धर्मेंद्र कुमार दूबे, ब्रज किशोर गौतम, एसीपी पंकज लवानिया, उपायुक्त अभिषेक भारती  जैसे विधि के निदेशों की अवहेलना करने वाले अधिकारियों को सजा मिलेगी और थानों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा?

पुलिस का पक्ष: इस मामले में हंडिया थाना प्रभारी ब्रज किशोर गौतम, पूर्व प्रभारी धर्मेंद्र दूबे और एसीपी पंकज लवानिया से संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

नागरिकों की माँग: हंडिया के निवासियों ने पुलिस की जवाबदेही तय करने और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की माँग की है। यह मामला न केवल स्थानीय प्रशासन, बल्कि पूरे पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।

(नोट: यह रिपोर्ट पीड़ितों के बयानों और उपलब्ध साक्ष्यों पर आधारित है। यदि पुलिस पक्ष की ओर से कोई जानकारी दी जाती है, तो उसे अगले संस्करण में शामिल किया जाएगा।)

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I