WBSC ने बहाल किया पुराना सिलेबस, परीक्षा पैटर्न और भाषा-पेपर: अभ्यर्थियों को बड़ी राहत, प्रशासनिक दिशा पर सवाल

पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSC) ने शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए पुराने सिलेबस, पूर्व परीक्षा पैटर्न और भाषा विषय के पेपर को पुनः बहाल कर दिया है। यह निर्णय राज्य भर में हुए छात्र आंदोलनों और व्यापक आलोचना के बाद लिया गया। यह रिपोर्ट इस निर्णय की पृष्ठभूमि, कारण, प्रभाव और आगामी दिशा पर विस्तार से प्रकाश डालती है।

May 29, 2025 - 08:49
May 29, 2025 - 08:57
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WBSC ने बहाल किया पुराना सिलेबस, परीक्षा पैटर्न और भाषा-पेपर: अभ्यर्थियों को बड़ी राहत, प्रशासनिक दिशा पर सवाल
पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन

पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSC) राज्य के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति हेतु TET और SLST परीक्षा आयोजित करता है। 2023 में आयोग ने सिलेबस, परीक्षा पैटर्न और भाषा विषय (Language Paper) में व्यापक परिवर्तन कर दिए थे।

 परिवर्तन क्या थे?

 सिलेबस: विषयवस्तु को और गहरा तथा विस्तृत किया गया था, जो स्नातक-स्तर के छात्रों के लिए कठिन साबित हो रहा था।

 परीक्षा पैटर्न: नए फॉर्मेट में निगेटिव मार्किंग, अधिक वस्तुनिष्ठ प्रश्न और विषय-आधारित खंडों को जोड़ा गया था।

 भाषा पेपर: मूलतः भाषा विषय (बंगला, हिंदी, उर्दू आदि) को मुख्य परीक्षा से अलग कर दिया गया था।

इन बदलावों से छात्रों में भ्रम, तनाव और असंतोष व्याप्त हो गया। छात्रों ने इसे "अचानक और अव्यवस्थित सुधार" बताया, जिसकी न तो कोई पूर्व सूचना दी गई थी और न ही कोई ट्रांजिशनल योजना बनाई गई थी।

बहाली का निर्णय: कौन-क्या बहाल हुआ?

WBSC ने मई 2025 के अंतिम सप्ताह में आधिकारिक रूप से यह घोषणा की:

1. पुराना सिलेबस बहाल: 2016 का SLST आधारित सिलेबस अब 2025 की परीक्षा में लागू होगा।

2. पूर्व परीक्षा पैटर्न बहाल: पुराने पैटर्न में कोई निगेटिव मार्किंग नहीं थी; MCQ आधारित परीक्षा और भाषा-आधारित प्रश्नों की सामान्य संरचना ही लागू होगी।

3. भाषा का पेपर पुनः जोड़ा गया: पहले मुख्य परीक्षा में भाषा (जैसे बंगला, हिंदी, उर्दू, संथाली) एक अनिवार्य खंड होता था। इसे अब पुनः शामिल कर लिया गया है।

इस निर्णय के प्रमुख कारण

 छात्र आंदोलन: कई महीनों से राज्यभर में धरने, सोशल मीडिया अभियान (#RestoreOldWBSC) और ज्ञापन प्रस्तुत किए जा रहे थे।

 राजनीतिक हस्तक्षेप: विपक्षी दलों और कुछ शिक्षाविदों ने सरकार पर छात्रों के हितों की अनदेखी का आरोप लगाया।

 प्रशासनिक आलोचना: न्यायपालिका और राज्य शिक्षा सलाहकार मंडल के कुछ सदस्य भी WBSC की तैयारी और समय-संयोजन पर सवाल उठा चुके थे।

छात्रों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएँ

छात्रों की संतुष्टि: अभ्यर्थियों ने फैसले का स्वागत किया। कोलकाता, सिलीगुड़ी, मालदा, और बर्धमान से छात्रों ने कहा कि अब वे स्पष्ट दिशा में पढ़ाई कर सकेंगे।

 शिक्षा विशेषज्ञों की राय: कुछ शिक्षाविदों का मानना है कि आयोग को भविष्य में किसी भी बदलाव को चरणबद्ध रूप में और पर्याप्त तैयारी के साथ लागू करना चाहिए।

 समस्या की जड़: विशेषज्ञ मानते हैं कि बार-बार का पाठ्यक्रम और परीक्षा-पैटर्न में हेरफेर, WBSC की प्रशासनिक अस्थिरता का प्रतीक है।

आगे की राह

WBSC ने कहा है कि अब वह एक स्थायी, संशोधित और सभी पक्षों से विमर्शित 'नवीन पाठ्यक्रम समिति' गठित करेगा।

आयोग जल्द ही SLST 2025 की नई अधिसूचना (Notification) जारी करेगा, जिसमें संशोधित समय-सारिणी, पाठ्यक्रम विवरण और परीक्षा केंद्रों की जानकारी दी जाएगी।

 विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि छात्रों के साथ नियमित संवाद और पारदर्शिता से ही आयोग की साख बहाल हो सकती है।

WBSC का यह निर्णय उन हजारों छात्रों के लिए राहत है जो अनिश्चितता के माहौल में पढ़ाई कर रहे थे। परंतु, यह निर्णय आयोग की नीतिगत अस्थिरता और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की कमी को भी उजागर करता है। भविष्य में कोई भी शैक्षिक बदलाव एक रणनीतिक ढाँचे और संवाद-प्रधान प्रक्रिया के तहत ही होना चाहिए, तभी यह छात्रों, शिक्षकों और प्रशासन सभी के हित में होगा।

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