मीडिया बनाम डिजिटल क्रिएटर: कॉपीराइट विवाद से मानहानि तक पहुँचा मामला
प्रमुख समाचार एजेंसी एएनआई (ANI) ने यूट्यूबर मोहक मंगल के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दायर किया है। एएनआई का आरोप है कि मोहक ने एजेंसी पर 'ब्लैकमेल' और 'जबरन वसूली' जैसे आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया है। यह विवाद एक रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ, जिसमें एएनआई द्वारा यूट्यूब क्रिएटर्स पर कॉपीराइट उल्लंघन को लेकर भारी दावे करने की बात कही गई थी। अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है। यह मामला मीडिया संगठनों और डिजिटल क्रिएटर्स के बीच बढ़ते टकराव की एक अहम कड़ी माना जा रहा है।

नई दिल्ली, 28 मई 2025 :
विवाद की पृष्ठभूमि
मई 2025 में, रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया कि एएनआई यूट्यूब क्रिएटर्स से कॉपीराइट उल्लंघन के मामलों में भारी रकम की मांग करता है, कभी-कभी बहुत ही छोटे क्लिप्स के लिए भी। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि एएनआई का यह रवैया अन्य भारतीय मीडिया संगठनों की तुलना में अधिक कठोर है। मोहक मंगल ने इस रिपोर्ट के आधार पर एएनआई की नीतियों की आलोचना की और उन्हें 'ब्लैकमेल' और 'जबरन वसूली' जैसा बताया।
एएनआई का पक्ष
एएनआई ने अदालत में दायर याचिका में कहा है कि मोहक मंगल के बयान झूठे, अपमानजनक और उनकी व्यावसायिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने वाले हैं। एजेंसी ने यह भी दावा किया कि उन्होंने केवल अपने कॉपीराइट अधिकारों का कानूनी रूप से पालन किया है और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं।
मोहक मंगल की प्रतिक्रिया
मोहक मंगल, जो कि वर्ल्ड बैंक के पूर्व सलाहकार और सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर वीडियो बनाने के लिए जाने जाते हैं, ने अभी तक इस मामले पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, उन्होंने पहले भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थन में बयान दिए हैं और मीडिया की आलोचना की है।
अदालत की कार्यवाही
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एएनआई की याचिका पर नोटिस जारी किया है और मामले की अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की है। अदालत यह तय करेगी कि मोहक मंगल के बयान मानहानि की श्रेणी में आते हैं या नहीं, और क्या एएनआई को क्षतिपूर्ति का हकदार माना जा सकता है।
मीडिया और डिजिटल क्रिएटर्स के बीच बढ़ता तनाव
यह मामला भारत में मीडिया संगठनों और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है, जहाँ कॉपीराइट, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा की रक्षा के मुद्दे आमने-सामने आ रहे हैं। अदालत का निर्णय इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मिसाल स्थापित कर सकता है।
What's Your Reaction?






