जश्न से जनाज़ा: आरसीबी की जीत बना मातम
आरसीबी की जीत के बाद चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत और 33 घायल हुए। यह घटना भीड़ प्रबंधन की चूक और अफवाहों के कारण हुई। भारत में ऐसे हादसे पहले भी होते रहे हैं। यह संपादकीय ऐसी घटनाओं की पृष्ठभूमि, कारण और समाधान को रेखांकित करता है।

खुशी का घातक चेहरा: चिन्नास्वामी की भगदड़ और हमारी भीड़ प्रबंधन की विफलता
आरसीबी (रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर) की ऐतिहासिक जीत के बाद जब पूरा बेंगलुरु खुशी से झूम रहा था, तब चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुआ एक दिल दहला देने वाला हादसा इस जश्न को मातम में बदल गया। 3 जून 2025 की रात को, स्टेडियम के बाहर अचानक मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और 33 से अधिक लोग घायल हुए। यह हादसा तब हुआ जब हजारों की संख्या में समर्थक आरसीबी की जीत के बाद खिलाड़ियों की झलक पाने और सेलिब्रेशन में शामिल होने स्टेडियम के बाहर इकट्ठा हो गए।
इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर हमारे सार्वजनिक कार्यक्रमों और खेल आयोजनों में भीड़ नियंत्रण और आपदा प्रबंधन की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। पुलिस की प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार, एक झूठी अफवाह कि विराट कोहली बाहर आएँगे, के बाद भीड़ अचानक आगे बढ़ी, जिससे अफरा-तफरी मच गई। कई लोग फिसले, दबे और कुछ की मौके पर ही मौत हो गई। यह कोई पहली घटना नहीं है जब अनियंत्रित भीड़ ने जानें ली हों।
ऐसे ही कुछ पूर्व प्रमुख हादसे:
क्रम वर्ष स्थान / आयोजन मृतक संख्या कारण
1. 1954 कुंभ मेला, इलाहाबाद (प्रयागराज) 800+ सुरक्षा व्यवस्था की कमी, भीड़ नियंत्रण विफल
2. 2005 मंदहरदेवी मंदिर, महाराष्ट्र 300+ घबराहट और भीड़ में फिसलन से भगदड़
3. 2008 चामुंडा देवी मंदिर, जोधपुर (राजस्थान) 224 सीढ़ियों पर गिरने से भगदड़
4. 2011 सिविल लाइंस, कोलकाता (सरस मेले में) 18 टिकट वितरण के दौरान धक्का-मुक्की
5. 2013 कुंभ मेला, इलाहाबाद 36 रेलवे स्टेशन पर अफवाह से भगदड़
6. 2014 पटना गांधी मैदान (दशहरा मेला) 33 बिजली गुल और अफवाह के चलते भगदड़
7. 2015 दातिया, मध्यप्रदेश (रत्नगढ़ मंदिर) 115+ ब्रिज पर अफवाह और धक्का-मुक्की
8. 2016 वरलक्ष्मी पूजा, आंध्र प्रदेश 29 पूजा सामग्री बाँटते समय भगदड़
9. 2017 मुंबई एलफिंस्टन रेलवे ब्रिज 23 भारी भीड़, बारिश व अफवाह से भगदड़
10. 2022 केरल मंदिर उत्सव (थ्रिस्सूर पूरम) 13 घायल आतिशबाज़ी के दौरान अव्यवस्था
मुख्य कारण:
* अति भीड़ के लिए समुचित यातायात और सुरक्षा व्यवस्था का अभाव
* सोशल मीडिया पर अफवाहें
* आयोजकों द्वारा पूर्व नियोजन की कमी
* पर्याप्त निकासी मार्गों और मेडिकल सहायता का न होना
* पुलिस व प्रशासन की तैयारी की कमी
समाधान की दिशा में सुझाव:
* सभी बड़े आयोजनों के लिए 'भीड़ प्रबंधन योजना' और 'आपातकालीन निकासी मॉडल' अनिवार्य बनाए जाएँ।
* AI-आधारित निगरानी और ड्रोन कैमरों से लाइव भीड़ विश्लेषण।
* आयोजनों से पहले अफवाह नियंत्रण एवं जन-जागरूकता अभियान चलाना।
* आयोजनों की 'जनसंख्या सीमा' निर्धारित हो और E-pass सिस्टम लागू किया जाए।
किसी टीम की जीत या धार्मिक उत्सव, आमजन की भागीदारी से ही सार्थक होते हैं, लेकिन अगर आयोजनों की तैयारियों में लापरवाही होगी, तो जश्न कब जनाज़ा बन जाए, यह तय नहीं किया जा सकता। चिन्नास्वामी हादसा महज़ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है – प्रशासन, आयोजकों और आमजन सभी के लिए। अब वक्त आ गया है कि हम उत्सव मनाने की परंपरा को सुरक्षा और जिम्मेदारी के साथ निभाना सीखें।
What's Your Reaction?






