एनएचआरसी ने सितंबर-2025 के लिए ऑनलाइन इंटर्नशिप कार्यक्रम शुरू | 21 राज्यों से 80 छात्र चयनित

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सितंबर 2025 के लिए अपना दो-सप्ताह का ऑनलाइन इंटर्नशिप कार्यक्रम शुरू किया। 896 आवेदनों में से 80 छात्रों का चयन हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं में मानवाधिकार जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाना है।

Sep 26, 2025 - 17:31
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एनएचआरसी ने सितंबर-2025 के लिए ऑनलाइन इंटर्नशिप कार्यक्रम शुरू | 21 राज्यों से 80 छात्र चयनित
ऑनलाइन इंटर्नशिप कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में उपस्थित पदाधिकारीगण

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2025। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सितंबर 2025 के लिए अपना दो-सप्ताह का ऑनलाइन अल्पकालिक इंटर्नशिप कार्यक्रम (OSTI) शुरू कर दिया है। यह कार्यक्रम 22 सितंबर से 3 अक्तूबर 2025 तक आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम के लिए कुल 896 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से विभिन्न शैक्षणिक विषयों का प्रतिनिधित्व करने वाले 80 छात्रों का चयन किया गया।

अपने उद्घाटन भाषण में एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल ने कहा कि इस इंटर्नशिप का उद्देश्य युवाओं को मानवाधिकारों की गहरी समझ प्रदान करना और उन्हें संवेदनशील एवं जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करना है। उन्होंने कहा - “मानवाधिकार सशक्त हैं और निरंतर पुनर्मूल्यांकन तथा जनसहभागिता की मांग करते हैं। सच्चा नेतृत्व अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने में है, न कि चुप रहने में।”

भरत लाल ने व्यापार एवं मानवाधिकार, श्रम अधिकार, जलवायु परिवर्तन से होने वाले विस्थापन, साइबर अपराध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और गिग इकॉनमी में शोषण जैसे उभरते मुद्दों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को न्याय, सहानुभूति और गरिमा जैसे मूल्यों को आत्मसात करने और जीवन में लागू करने का आह्वान किया।

एनएचआरसी की संयुक्त सचिव सैदिंगपुई छकछुआक ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इंटर्नशिप के दौरान छात्रों को तिहाड़ जेल, आश्रय गृह और पुलिस स्टेशन जैसे संस्थानों के वर्चुअल भ्रमण के साथ-साथ विशेषज्ञ व्याख्यान और संवादात्मक गतिविधियों से भी जोड़ा जाएगा। विभिन्न प्रतियोगिताओं और कार्यशालाओं के माध्यम से प्रशिक्षुओं के आत्मविश्वास और ज्ञान में वृद्धि की जाएगी।

एनएचआरसी का यह अल्पकालिक कार्यक्रम युवाओं को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, भारतीय संदर्भों और उनके समाधान की रणनीतियों से परिचित कराएगा। इससे छात्र न केवल मानवाधिकारों के प्रचार-प्रसार में योगदान देंगे, बल्कि समाज में सार्थक बदलाव लाने में भी समर्थ बनेंगे।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I