मेदिनीपुर में STFI संगोष्ठी: सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली के संकट पर शिक्षकों का वैचारिक मंथन

पश्चिम मेदिनीपुर के मेदिनीपुर शहर में आयोजित STFI के 9वें त्रैवार्षिक सम्मेलन के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी संपन्न हुई, जिसका विषय था- "राष्ट्रीय और राज्य शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में संकट"। इस सेमिनार में पूर्व सांसद प्रो. सैयदुल हक समेत राज्य व जिला स्तर के शिक्षकों व नेताओं ने भाग लेकर सरकारी शिक्षा के भविष्य, निजीकरण, और नीति-निर्माण के प्रभावों पर गहन चर्चा की। कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षा को बाजारीकरण से बचाना और समान शिक्षा के अधिकार की रक्षा करना रहा।

Jul 27, 2025 - 20:05
Jul 27, 2025 - 20:06
 0
मेदिनीपुर में STFI संगोष्ठी: सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली के संकट पर शिक्षकों का वैचारिक मंथन
STFI संगोष्ठी

खड़गपुर, पश्चिम मेदिनीपुर | अखिल भारतीय शिक्षक संगठन School Teachers Federation of India (STFI) के 9वें त्रैवार्षिक सम्मेलन के अंतर्गत रविवार को मेदिनीपुर में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका केंद्रबिंदु था- 'राष्ट्रीय और राज्य शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में संकट'। इस विचारमंथन का उद्देश्य मौजूदा शिक्षा नीतियों की समीक्षा करना और सरकारी विद्यालयों व शिक्षकों के समक्ष खड़े हो रहे संकटों को उजागर करना था।

संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता पूर्व सांसद व प्रख्यात शिक्षाविद् प्रोफेसर सैयदुल हक ने शिरकत की। अपने भाषण में उन्होंने कहा,

"राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राज्य स्तर की नई नीतियाँ शिक्षा के निजीकरण और केंद्रीकरण को बढ़ावा दे रही हैं। इससे वंचित वर्गों की शिक्षा तक पहुँच और भी कठिन हो रही है।"

सभा में एबीटीए (ABTA) के राज्य महासचिव सुकुमार पाइन, एबीपीटीए (ABPTA) के राज्य महासचिव ध्रुव शेखर मंडल, तथा राज्य अध्यक्ष मोहनदास पंडित ने भी गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया। वक्ताओं ने सरकारी स्कूलों के घटते संसाधन, शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितता, और शिक्षण को पेशेवर बनाने के नाम पर की जा रही मुनाफाखोरी पर तीखा सवाल उठाया।

इस मौके पर झाड़ग्राम जिले के एबीटीए सचिव गुरुचरण नंदी, अध्यक्ष चंचल सांतरा, तथा पश्चिम मेदिनीपुर के पूर्व सचिव अशोक घोष और बिपदतारण घोष ने भी जनपक्षधर शिक्षा की वकालत करते हुए कहा कि यदि सरकारी शिक्षा को बचाना है, तो शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों को मिलकर संघर्ष करना होगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मृणाल कांति नंद और लक्ष्मीकांत मैकप ने संयुक्त रूप से की, जो कि आयोजनकर्ता संगठनों के पश्चिम मेदिनीपुर जिले के अध्यक्ष हैं। उन्होंने शिक्षा के बाजारीकरण और शिक्षकों के शोषण के खिलाफ एकजुट आंदोलन की आवश्यकता पर जोर दिया।

संगोष्ठी के दौरान वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि शिक्षा केवल ज्ञान का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता का उपकरण है। यदि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली कमजोर पड़ी, तो देश की लोकतांत्रिक नींव भी चरमरा जाएगी।

संगोष्ठी में जिले भर से सैकड़ों शिक्षकों, बुद्धिजीवियों और छात्र प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सेमिनार का निष्कर्ष एकजुटता और जनसंघर्ष के संकल्प के साथ समाप्त हुआ, जिसमें यह घोषणा की गई कि आने वाले समय में व्यापक जनचेतना अभियान चलाकर शिक्षा बचाने की दिशा में निर्णायक पहल की जाएगी।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

तारकेश कुमार ओझा तारकेश कुमार ओझा पिछले तीन दशकों से पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में सक्रिय पत्रकार हैं। कोलकाता से प्रकाशित दैनिक विश्वमित्र से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले ओझा पऱख, महानगर, चमकता आईना, प्रभात खबर और वर्तमान में दैनिक जागरण में वरिष्ठ उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं। आप समसामयिक विषयों, व्यंग्य, कविता और कहानियों के साथ-साथ ब्लॉग लेखन में भी सक्रिय हैं। माओवादी आंदोलन से लेकर महेंद्र सिंह धोनी के संघर्षपूर्ण दिनों तक, आपकी कई रिपोर्टें चर्चा में रही हैं। आपको मटुकधारी सिंह हिंदी पत्रकारिता पुरस्कार, लीलावती स्मृति सम्मान सहित कई बेस्ट ब्लॉगर अवार्ड प्राप्त हो चुके हैं।