अनिल दास पर हमले के विरोध में खड़गपुर में विशाल प्रतिवाद जुलूस, नागरिक समाज बोला – “यह सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं, लोकतंत्र पर हमला है”
खड़गपुर (पश्चिम मेदिनीपुर) में वरिष्ठ वामपंथी नेता अनिल दास पर हुए हमले के खिलाफ नागरिक समाज, बुद्धिजीवियों, महिलाओं और युवाओं ने मलिंचा रोड से जोरदार प्रतिवाद जुलूस निकाला। वक्ताओं ने इस हमले को पूर्वनियोजित और निहित स्वार्थों से प्रेरित बताया तथा पुलिस की निष्क्रियता पर गहरी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि आरोपियों का खुलेआम घूमना आम नागरिक की सुरक्षा के लिए गंभीर संकट का संकेत है। इस घटना ने शांतिप्रिय समाज को झकझोर दिया है। सभा में तय किया गया कि न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष जारी रहेगा।

खड़गपुर (पश्चिम मेदिनीपुर), रविवार | खड़गपुर में बुजुर्ग वामपंथी नेता अनिल दास पर हुए सनसनीखेज हमले के खिलाफ आज शहर के नागरिक समाज, बुद्धिजीवियों, युवाओं और महिलाओं ने एकजुट होकर ज़ोरदार प्रतिवाद जुलूस निकाला। यह जुलूस मलिंचा रोड से आरंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरता हुआ शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ, जिसमें "न्याय दो, न्याय दो", "लोकतंत्र बचाओ", और "हमला बंद करो" जैसे नारे गूंजते रहे।
हमला: आकस्मिक नहीं, बल्कि साजिशन – वक्ताओं का आरोप
वक्ताओं ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि "भीड़भरे बाजार में अनिल दास पर जिस तरह से महिलाओं के एक समूह ने हमला किया, वैसी घटना खड़गपुर के इतिहास में पहले कभी नहीं हुई। यह कोई सामान्य या भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि पूर्वनियोजित और साजिशन हमला था, जिसे किसी स्वार्थी और राजनीतिक तत्व द्वारा अंजाम दिया गया।"
अनिल दास, जो वर्षों से खड़गपुर में वामपंथी जनसंघर्षों और नागरिक आंदोलनों की अग्रिम पंक्ति में रहे हैं, उन पर ऐसा हमला न केवल उनके जीवन के लिए ख़तरनाक था, बल्कि यह पूरे लोकतांत्रिक समाज को भयभीत करने की साजिश प्रतीत होती है।
पुलिस की भूमिका पर सवाल: "ढुलमुल रवैया बदमाशों को संरक्षण देता है"
सभा में वक्ताओं ने खड़गपुर पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता और ढुलमुल रवैये की तीखी आलोचना की।
उन्होंने कहा कि: “हमले के इतने दिन बीत जाने के बावजूद भी आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। यह दर्शाता है कि या तो पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है या फिर कहीं न कहीं राजनीतिक दबाव में निष्क्रिय है। यह स्थिति साधारण नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।”
शहर के बुद्धिजीवियों और युवाओं की बड़ी भागीदारी
इस प्रतिवाद जुलूस में शहर के जाने-माने शिक्षक, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, और छात्र-युवा संगठनों के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। महिलाओं की भी उल्लेखनीय भागीदारी रही। एक महिला वक्ता ने कहा: "जब भी कोई व्यक्ति व्यवस्था के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे डराने-धमकाने की कोशिश होती है। लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं।"
सवाल सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं – पूरे समाज का है
वक्ताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह हमला केवल अनिल दास पर नहीं था, बल्कि यह हर उस व्यक्ति पर है जो सत्य, न्याय और बराबरी की बात करता है। उन्होंने जनता से अपील की कि ऐसे समय में चुप रहना समाज-विरोधी तत्वों को खुली छूट देने जैसा होगा।
“यदि हम अब भी चुप रहे, तो अगला निशाना कौन होगा, यह कोई नहीं जानता। यह समय है जब सिविल सोसायटी को सड़कों पर उतरना होगा और एकजुट होकर शांति, सुरक्षा और न्याय की मांग करनी होगी।”
संघर्ष का संकल्प: "हम अंतिम सांस तक लड़ेंगे"
सभा का समापन एक सर्वसम्मत संकल्प के साथ हुआ जिसमें कहा गया: “हम यह लड़ाई न केवल अनिल दास के लिए, बल्कि अपने पूरे समाज की आत्मा के लिए लड़ेंगे। अंतिम सांस तक लोकतंत्र, न्याय और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रहेगा।”
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