भारतीय भाषा परिषद में प्रेमचंद जयंती पर साहित्य संवाद ‘प्रेमचंद का भारत’ की खोज में संवेदना और प्रतिबद्धता का संगम
26 जुलाई को भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता में प्रेमचंद जयंती के अवसर पर ‘प्रेमचंद का भारत’ विषयक साहित्य संवाद का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. शंभुनाथ ने प्रेमचंद के भारत की संकल्पना पर चिंतन करते हुए युवाओं को सामाजिक पुनर्निर्माण की दिशा में अग्रसर होने का आह्वान किया। कार्यक्रम में चर्चित कवियों ने स्त्री, समाज, प्रेम और प्रतिरोध जैसे विषयों पर कविताएं प्रस्तुत कीं, जिन पर सजीव संवाद हुआ। वरिष्ठ और युवा साहित्यकारों की भागीदारी ने इस आयोजन को एक बहुस्तरीय वैचारिक मंच में परिवर्तित कर दिया।

प्रेमचंद का साहित्य भारत के निर्माण का सपना है : डॉ. शंभुनाथ
26 जुलाई, कोलकाता। भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा प्रेमचंद जयंती के अवसर पर ‘प्रेमचंद का भारत’ विषयक साहित्य संवाद का आयोजन परिषद सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिषद निदेशक डॉ. शंभुनाथ ने कहा “आज की सबसे बड़ी चिंता यह है कि ‘भारत’ की गूँज कम हो रही है और धर्म, जातीयता तथा प्रांतीयता की ध्वनि तीव्र हो रही है। प्रेमचंद का साहित्य केवल कल्पना नहीं, बल्कि भारत के निर्माण का सपना है, जिसे युवाओं को साकार करना है।”
कार्यक्रम में युवा और चर्चित कवियों आनंद गुप्ता, राहुल शर्मा और मधु सिंह ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं। कविताओं में प्रेम, स्त्री-अनुभव, सामाजिक असमानता, फुटपाथ की ज़िंदगी और आदिवासी चेतना जैसे विषय उभर कर आए। आनंद गुप्ता ने ‘प्रेम में रेत होना’, ‘जुबली ब्रिज’, ‘रोता हुआ बच्चा’ जैसी कविताएं सुनाईं। राहुल शर्मा ने ‘गाजा’, ‘मुक्तिबोध’, ‘फुटपाथ’, ‘रिपोर्ट’, और मधु सिंह ने ‘टाला का पुल’, ‘खालीपन’, ‘प्रश्न’, ‘सुनो लड़कियों’ जैसी रचनाएं प्रस्तुत कीं।
कविता और कवि दृष्टि पर चर्चा के दौरान मृत्युंजय श्रीवास्तव, अनीता राय, सूर्य देव रॉय, सुषमा कुमारी सहित अन्य युवाओं ने सवाल पूछे। वरिष्ठ कवयित्री मंजु श्रीवास्तव ने कहा कि “कविता संवादहीनता के इस दौर में संवाद स्थापित करती है और अन्याय के खिलाफ मुखरता सिखाती है।” डॉ. इतु सिंह ने कहा कि “एक बार लिखे जाने के बाद कविता केवल कवि की नहीं रहती, वह समाज की हो जाती है।”
कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ. संजय जायसवाल ने प्रेमचंद को संवेदना, बुद्धिपरकता और मनुष्यता का त्रिभुज रचने वाला साहित्यकार बताया और संवाद को पीढ़ियों के बीच पुल बनाने की आवश्यकता बताया।
कवि परिचय सत्र में चंदन भगत, आशुतोष राउत और प्रज्ञा झा ने काव्य पाठ किया।
इस अवसर पर रामनिवास द्विवेदी, राज्यवर्धन, प्रियंकर पालीवाल, सेराज ख़ान बातिश, सुरेश शॉ, डॉ. आदित्य गिरी, राजेश साव, लिली साह, सुषमा कुमारी, संजय दास, प्रगति दूबे, शुभस्वप्ना मुखर्जी समेत दर्जनों साहित्यप्रेमी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन परिषद की विमला पोद्दार ने किया।
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