वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर बरपे हंगामे की आवश्यकता नहीं

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर चल रही बहस को तथ्यों और संवैधानिक ढाँचे के आधार पर देखा जाना चाहिए। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पारदर्शी और निष्पक्ष प्रबंधन सुनिश्चित करे, जबकि नागरिकों का दायित्व है कि वे संयम और कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करें। कोर्ट का निर्णय इस मामले में अंतिम मार्गदर्शन प्रदान करेगा। तब तक, शांति और संवाद ही रास्ता है।

Apr 12, 2025 - 09:14
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वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर बरपे हंगामे की आवश्यकता नहीं
वक्फ बोर्ड

हाल के दिनों में लोकसभा में पारित वक्फ बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर देश भर में तीखी बहस और राजनीति छायी हुई है। इसके खिलाफ प्रदर्शन, जुलूस और कुछ स्थानों पर हिंसक घटनाएँ भी देखने को मिलीं, जो निंदनीय हैं। इस विषय पर अनावश्यक हंगामा मचाने के बजाय तथ्यों को समझना और संयमित चर्चा जरूरी है। संवैधानिक विशेषज्ञ प्रोफेसर फैजान मुस्तफा के हालिया साक्षात्कार ने इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान की है।

वक्फ बोर्ड: एक परिचय

वक्फ बोर्ड एक सरकारी संवैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना 1913 में ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी। यह मुस्लिम समुदाय द्वारा मस्जिदों, मजारों, और अन्य धार्मिक या सामाजिक उद्देश्यों के लिए दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन और उपयोग करता है। वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी, जिसमें सेवानिवृत्त सिविल सेवक, जज और अन्य विशेषज्ञ शामिल होते हैं, केंद्र या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।

राज्य वक्फ बोर्डों के अतिरिक्त, एक केंद्रीय वक्फ परिषद भी है जो इनकी निगरानी करती है। इसके अलावा, वक्फ से संबंधित कानूनी विवादों के लिए वक्फ ट्रिब्यूनल की व्यवस्था है, जिसकी हैसियत निचली अदालत के समान है। ट्रिब्यूनल के निर्णयों के खिलाफ उच्च न्यायालयों में अपील की जा सकती है। वक्फ की आय-व्यय की जांच आंतरिक ऑडिट, चैरिटी आयुक्त, और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा की जाती है।

समस्याएँ और चुनौतियाँ

वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है। भू-माफिया, बिल्डर, और कभी-कभी सरकारें भी इन संपत्तियों पर कब्जा करती हैं। सरकारी नियुक्तियों, सरकारी जाँच-तंत्र, और सरकारी ट्रिब्यूनल के बावजूद वक्फ बोर्ड में कथित भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और अनियमितताएँ सामने आती रही हैं। यदि इन सभी सरकारी तंत्रों के रहते हुए भी गड़बड़ियाँ हो रही हैं, तो इसका उत्तरदायित्व भी सरकार का ही बनता है।

संशोधन विधेयक: सकारात्मक और नकारात्मक पहलू

वक्फ बोर्ड (संशोधन) विधेयक 2024 में कुछ सकारात्मक और कुछ विवादास्पद प्रावधान हैं। सकारात्मक पक्ष यह है कि अब बोर्ड में भू-राजस्व विभाग का विशेषज्ञ और दो महिला सदस्य शामिल होंगी, जो पारदर्शिता और समावेशिता को बढ़ावा देगा। हालाँकि, कुछ प्रावधान चिंता का विषय हैं:

1.     दोषियों के लिए अपराध को गैर-जमानती से जमानती अपराध में बदल दिया गया है।

2.     पहले सजा में कठोर परिश्रम शामिल था, जिसे हटा दिया गया है।

3.     नए मुस्लिम धर्मांतरित व्यक्ति पाँच साल तक अपनी संपत्ति वक्फ को दान नहीं कर सकेंगे।

4.     गैर-मुस्लिम अब वक्फ को संपत्ति दान नहीं कर सकेंगे।

विरोध और समाधान

इन प्रावधानों के खिलाफ वक्फ बोर्ड और अन्य पक्षों ने न्यायालय का रुख किया है। न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने और कोर्ट के फैसले तक हंगामा या हिंसा का कोई औचित्य नहीं है। विधायी संशोधन संसद का अधिकार है, और वक्फ बोर्ड एक सरकारी संस्था होने के नाते, सरकारी नियमों और कानूनों के तहत संचालित होता है। इन नियमों को संशोधित करने का अधिकार भी सरकार के पास है।

विपक्ष, धार्मिक नेता, और अन्य हितधारकों को जनता के सामने तथ्यपरक जानकारी रखनी चाहिए। संशोधन के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर खुली चर्चा होनी चाहिए, और कानूनी उपायों का सहारा लिया जाना चाहिए। हिंसा और उन्माद से कोई समाधान नहीं निकलेगा।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I