सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को लगाई फटकार
कोर्ट ने यूपी पुलिस के दो अधिकारियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है, क्योंकि उन्होंने एक संपत्ति से जुड़े सिविल मामले को आपराधिक मामला बनाकर एफआईआर दर्ज की थी।

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की उस प्रवृत्ति पर कड़ा रुख अपनाया है, जिसमें सिविल मामलों को आपराधिक केस में तब्दील किया जा रहा है। कोर्ट ने यूपी पुलिस के दो अधिकारियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है, क्योंकि उन्होंने एक संपत्ति से जुड़े सिविल मामले को आपराधिक मामला बनाकर एफआईआर दर्ज की थी।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने 16 अप्रैल, 2025 को इस मामले की सुनवाई की। पीठ ने कहा कि सिविल मामलों में एफआईआर दर्ज करने की चुनौतियों से संबंधित मामलों की बाढ़ आ चुकी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सिविल विवादों को आपराधिक मामले में बदलना न केवल न्यायिक फैसलों का उल्लंघन है, बल्कि यह कानून के शासन के खिलाफ है।
सुनवाई के दौरान अधिकारियों ने जुर्माना माफ करने की गुहार लगाई, लेकिन पीठ ने इसे खारिज करते हुए कहा, “यूपी सरकार 50,000 रुपये का जुर्माना भरे और इसे संबंधित अधिकारियों से वसूले।”
मामले की पृष्ठभूमि
रिपोर्ट के अनुसार, शिल्पी गुप्ता ने कानपुर के रिखब बिरानी और साधना बिरानी के खिलाफ धन के लेन-देन से जुड़े विवाद में एफआईआर दर्ज कराई थी। शिल्पी ने स्थानीय मजिस्ट्रेट कोर्ट में दो बार एफआईआर दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन दोनों बार कोर्ट ने इसे सिविल मामला मानते हुए खारिज कर दिया, क्योंकि इसमें आपराधिक जांच का कोई आधार नहीं था। इसके बावजूद, यूपी पुलिस ने बिरानी दंपती के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर समन जारी किया।
बिरानी दंपती ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एफआईआर रद्द करने की याचिका दायर की, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर ट्रायल का सामना करने को कहा। अंततः दंपती ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसने पुलिस अधिकारियों पर जुर्माना लगाते हुए मामले को रद्द कर दिया।
पहले भी हुई थी कड़ी टिप्पणी
इससे पहले एक अन्य मामले में सीजेआई संजीव खन्ना ने यूपी पुलिस की आलोचना करते हुए कहा था, “यह गलत है! यूपी में क्या हो रहा है? रोजाना सिविल मामलों को आपराधिक केस में बदला जा रहा है। यह कानून के शासन का स्पष्ट उल्लंघन है।” उन्होंने यह भी कहा था, “उत्तर प्रदेश में कानून का शासन पूरी तरह से चरमरा गया है। सिविल मामलों को आपराधिक केस में बदलना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” कोर्ट ने यूपी पुलिस के डीजीपी को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया था।
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