हाईकोर्ट की फटकार: वादी और वकील को धमकाने वाली जौनपुर पुलिस के खिलाफ सख्त टिप्पणी, ADG (गृह) को पार्टी बनाया, FIR और निलंबन के आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका (PIL) के वादी और उसके वकील को धमकाने, रात में घर पर दबिश देने और रिश्वत के आरोपों पर जौनपुर पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया पर हमला है और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज हुई है, SHO और दो कांस्टेबल निलंबित किए गए हैं, और अब उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव (गृह) को मामले में पार्टी बनाकर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया है।

Jul 13, 2025 - 16:25
Jul 13, 2025 - 21:32
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हाईकोर्ट की फटकार: वादी और वकील को धमकाने वाली जौनपुर पुलिस के खिलाफ सख्त टिप्पणी, ADG (गृह) को पार्टी बनाया, FIR और निलंबन के आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट की फटकार

इलाहाबाद, 11 जुलाई 2025 । उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक 90 वर्षीय पूर्व सैनिक द्वारा ग्रामसभा की ज़मीन पर अवैध कब्जे के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली को 'राजकीय शक्ति का दुरुपयोग' करार दिया है। कोर्ट ने पाया कि वादी गौरीशंकर सरोज और उनके पोते रजनीश को धमकाया गया, उनसे PIL वापस लेने को कहा गया और जबरन वाहन में बैठाकर ₹2,000 की रिश्वत लेकर छोड़ा गया। पुलिस द्वारा की गई जांच को पक्षपातपूर्ण मानते हुए कोर्ट ने SP जौनपुर को पुनः जांच कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा था।

11 जुलाई के आदेश में क्या हुआ?

 SP जौनपुर डॉ. कौस्तुभ ने पुनः जांच कर दोषी पाए गए दो कांस्टेबल (पंकज मौर्य और नितीश गौड़) और हल्का लेखपाल विजय शंकर को नामजद किया।

 SHO मुँगराबादशाहपुर थाना को भी लापरवाही के चलते निलंबित किया गया।

 FIR संख्या 0175/2025 दर्ज की गई, जिसमें BNS की धाराएं 61(1), 352, 351(2), PC Act की धारा 7, और SC/ST Act की धारा 3(2)(va) लगाई गईं।

 पुलिसकर्मियों पर गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने, वादी के घर पर दबिश देने और PIL वापसी के लिए रिश्वत मांगने के आरोप हैं।

अब वकील को भी टारगेट किया गया!

वादी के अधिवक्ता विष्णु कांत तिवारी ने कोर्ट को बताया कि:  9 जुलाई की रात मुँगराबादशाहपुर थाना पुलिस उनके घर पर आई। पिता से पूछा गया कि वकील साहब जौनपुर क्यों गए?”

SHO दिलीप कुमार सिंह ने फोन कर धमकी दी कि "थाने आकर मिलिए नहीं तो कार्यवाही होगी।"

कोर्ट ने इसे देशभर में वकीलों को डराने की खतरनाक प्रवृत्तिबताते हुए इसे न्यायिक व्यवस्था पर सीधा हमला करार दिया।

कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश:

 ADG (गृह), लखनऊ को पार्टी बनाया गया।

 SP जौनपुर और ADG को व्यक्तिगत हलफनामा 15 जुलाई 2025 तक दाखिल करने का आदेश।

 पुलिस को वकील या उनके परिवार से संपर्क, फोन कॉल, धमकी, गिरफ्तारी, या घर में घुसने पर पूर्ण प्रतिबंध।

 बिना कोर्ट की अनुमति के पुलिस कोई संपर्क नहीं कर सकती।

कोर्ट की टिप्पणी:

"यह एक ऐसी प्रवृत्ति है जो न्यायिक प्रणाली के अस्तित्व पर आघात करती है... इसके लिए कठोरतम दंड की आवश्यकता है।"

मुख्य तथ्य (Highlights):

 PIL: गौरीशंकर सरोज बनाम उत्तर प्रदेश शासन

 मुद्दा: ग्रामसभा ज़मीन पर कब्जा व पुलिस दमन

 आरोपी: दो सिपाही, लेखपाल और SHO

 धाराएं: BNS, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, SC/ST एक्ट

 आदेश दिनांक: 11 जुलाई 2025

 अगली सुनवाई: 15 जुलाई 2025, अपराह्न 2:00 बजे

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I