इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: “पूर्व सैनिक को धमकाकर PIL वापस लेने का दबाव”, जौनपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल
जौनपुर जनपद में 90 वर्षीय पूर्व फौजी गौरीशंकर सरोज और उनके पोते रजनीश सरोज के साथ पुलिस द्वारा की गई कथित बदसलूकी, धमकी, अपहरण और जबरन वसूली के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस की अब तक की जांच संदेहास्पद है और एसपी जौनपुर को पुनः व्यक्तिगत रूप से जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि पीआईएल वापस लेने का दबाव बनाने के लिए उनके पोते को गाड़ी में घसीटकर उठाया गया और पैसे लेकर छोड़ा गया।

प्रयागराज, 08 जुलाई 2025 । | इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक 90 वर्षीय सेवानिवृत्त सैनिक और उनके पोते के साथ पुलिस द्वारा कथित उत्पीड़न, धमकी, जबरन वसूली और जनहित याचिका (PIL) वापस लेने के दबाव की घटनाओं को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने जौनपुर के पुलिस अधीक्षक (SP) को प्रारंभिक जाँच रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए मामले की पुनः जाँच कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
मामले का मूल प्रसंग:
गौरीशंकर सरोज, एक 90 वर्षीय पूर्व सैनिक (सेवानिवृत्त सेना कर्मी), ने ग्रामसभा की भूमि पर अवैध कब्जे और स्थानीय प्रशासनिक व पुलिस तंत्र की निष्क्रियता के विरुद्ध इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL No. 1118 of 2025) दाखिल की थी। इस याचिका के दाखिल होने के बाद याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मुँगराबादशाहपुर थाना से जुड़े सिपाही पंकज मौर्य और एक अन्य पुलिसकर्मी ने उनके पोते रजनीश सरोज को धमकाया, गाड़ी में जबरन बैठाया और ₹10,000 लेकर छोड़ा, ताकि वे इस PIL को वापस ले लें।
क्या हुआ अदालत में?
हाईकोर्ट ने 8 जुलाई 2025 को न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर की एकल पीठ में इस मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता एवं उनके पोते को अदालत में व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत किया गया, जहाँ दोनों के बयान स्वतः न्यायाधीश द्वारा प्रश्न पूछकर प्रत्यक्ष रूप में रिकॉर्ड किए गए।
गौरीशंकर सरोज का कोर्ट में बयान:
“पुलिस और हल्का लेखपाल मेरे घर आए, कहा कि PIL वापस ले लीजिए, नहीं तो परिणाम भुगतना पड़ेगा।” “मेरे पोते को घसीटकर गाड़ी में डाला और पैसे लेकर छोड़ा।” “कहा गया कि गांव की सारी जमीन ग्रामसभा की है, तुमने कैसे कब्जा रोका।”
रजनीश सरोज (पोते) का बयान:
“मैं B.Sc. द्वितीय वर्ष का छात्र हूँ। पढ़ाई कर रहा हूँ। सिपाही मुझे जबरन गाड़ी में बैठाकर ले जा रहे थे। पिता जी को सूचना दी, जिन्होंने आकर छुड़ाया। ₹2,000 लेकर छोड़ा गया। कहा गया कि PIL की जरूरत क्या थी?”
कोर्ट की टिप्पणी:
“पुलिस की अब तक की जाँच सतही, पक्षपातपूर्ण और केवल अपने अधीनस्थों को बचाने हेतु की गई प्रतीत होती है। PIL वापस लेने के लिए राज्य की शक्ति का दुरुपयोग निंदनीय है। SP जौनपुर ने केवल औपचारिकता निभाई, वास्तविकता से मुंह मोड़ा। एक 90 वर्षीय वृद्ध पूर्व सैनिक को धमकाना लोकतंत्र और कानून के विपरीत है।”
SP द्वारा दाखिल रिपोर्ट में क्या कहा गया?
SP जौनपुर द्वारा 4 जुलाई 2025 को प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया कि यह विवाद सिर्फ जलनिकासी और भूमि विवाद का मामला है। रिपोर्ट में सभी आरोपों को निराधार बताया गया और सिपाही पंकज मौर्य व अन्य को क्लीन चिट दी गई। यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता ने कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं दिया है।
कोर्ट ने क्या निर्देश दिए?
SP जौनपुर को आदेशित किया गया है कि वे मामले की पुनः स्वतंत्र जाँच कराएं।
इस बार SP को स्वयं व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश।
मामले को अब 11 जुलाई 2025, दोपहर 2 बजे के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
आदेश की प्रति मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जौनपुर के माध्यम से SP और ASP को तात्कालिक रूप से भेजने का निर्देश दिया गया है।
पुलिस पक्ष का रवैया सवालों के घेरे में:
याचिकाकर्ता का यह आरोप भी है कि उन्हें कहा गया - "कोर्ट क्यों गए? पहले थाना क्यों नहीं आए? अब PIL वापस लो, नहीं तो अंजाम भुगतोगे।" पुलिस द्वारा किए गए व्यवहार को कोर्ट ने "राजकीय शक्ति का दुरुपयोग" बताया और स्पष्ट किया कि “थाने के सभी अधिकारी SHO के नियंत्रण में होते हैं, अतः उनकी जिम्मेदारी भी बनती है।”
सारांश में न्यायालय की बात: "यह याचिकाकर्ता, जो सेना से सेवानिवृत्त नब्बे वर्ष का है, को राज्य के प्राधिकार का दुरुपयोग करके इस याचिका को वापस लेने के लिए मजबूर करने की एक बहुत ही पूर्वनियोजित योजना है।"
यह मामला केवल एक वृद्ध सैनिक या ग्रामसभा भूमि विवाद का नहीं है यह उस संविधानिक अधिकार और लोकतांत्रिक व्यवस्था का मामला है, जिसमें कोई भी नागरिक न्यायालय की शरण में जा सकता है, बिना पुलिस या सत्ता के दबाव के। हाईकोर्ट का आदेश इस बात का प्रतीक है कि न्यायालय पुलिस के दुरुपयोग और आम नागरिक की आवाज़ दबाने के हर प्रयास पर सख्ती से निगरानी रखे हुए है।
आगे की कार्यवाही पर नज़र:
क्या SP जौनपुर अब स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच करेंगे?
क्या दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होगी?
क्या राज्य सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करेगी?
क्या PIL का निष्पक्ष निस्तारण होगा या दबाव जारी रहेगा?
स्थान: इलाहाबाद | आदेश तिथि: 08 जुलाई 2025
अगली सुनवाई: 11 जुलाई 2025, अपराह्न 2:00 बजे
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