फर्जी केस दर्ज करने के मामले में बदायूं पुलिस पर कोर्ट की बड़ी कार्रवाई

बदायूं के बिनावर थाने में फर्जी केस दर्ज करने के मामले में सीजेएम मोहम्मद तौसीफ रजा के आदेश पर तीन इंस्पेक्टर, चार उप निरीक्षक समेत कुल 25 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि पुलिस ने पाँच युवकों को गैरकानूनी हिरासत में लेकर झूठी एनडीपीएस एक्ट के तहत बरामदगी दिखाकर फर्जी केस बनाया। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जाँच के निर्देश दिए हैं। यह कार्रवाई पुलिस की मनमानी और दुरुपयोग के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है।

Jun 30, 2025 - 14:27
Jul 1, 2025 - 14:28
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फर्जी केस दर्ज करने के मामले में बदायूं पुलिस पर कोर्ट की बड़ी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश पुलिस पर कोर्ट की बड़ी कार्रवाई

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में फर्जी केस दर्ज करने के गंभीर मामले में पुलिस प्रशासन पर न्यायालय ने सख्त ऐक्शन लिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) मोहम्मद तौसीफ रजा के आदेश पर बिनावर थाने के तत्कालीन प्रभारी समेत कुल 25 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, जिनमें तीन इंस्पेक्टर और चार उप निरीक्षक भी शामिल हैं।

घटना का पूरा विवरण

  • मामला जुलाई 2024 का है
  • बिनावर थाना क्षेत्र के रहमा गांव निवासी अधिवक्ता मोहम्मद तस्लीम गाजी ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया कि 28 जुलाई 2024 की रात करीब 12:30 बजे बिनावर पुलिस और एसओजी टीम ने मुख्तियार, बिलाल, अजीत, अशरफ और तरनवीर नामक युवकों को उनके घरों से जबरन उठाया और थाने ले जाकर बंधक बना लिया।
  • गैरकानूनी हिरासत और झूठा केस:
  • इन पाँचों युवकों को तीन दिन तक गैरकानूनी हिरासत में रखा गया। इसके बाद 31 जुलाई को पुलिस ने NDPS एक्ट (ड्रग्स कानून) के तहत झूठी बरामदगी दिखाते हुए तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए और सभी को जेल भेज दिया।
  • गिरफ्तारी की तारीख में हेराफेरी:
  • अधिवक्ता के अनुसार, पुलिस ने 30 जुलाई को ही प्रेस नोट और सोशल मीडिया पर गिरफ्तारी की जानकारी सार्वजनिक कर दी थी, जबकि एफआईआर अगले दिन 31 जुलाई को दर्ज की गई। कोर्ट में सीसीटीवी फुटेज और प्रेस नोट प्रस्तुत किए गए, जिससे यह साबित हुआ कि युवकों को 28 जुलाई को ही घर से उठा लिया गया था।
  • पुलिसकर्मियों पर धमकी का आरोप:
  • जब अधिवक्ता ने कोर्ट में सबूत पेश किए, तो आरोप है कि थानेदार समेत कई पुलिसकर्मियों ने उन्हें फर्जी एनकाउंटर में निपटाने की धमकी भी दी।

कोर्ट की कार्रवाई

  • कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए तत्कालीन बिनावर थाना प्रभारी कांत कुमार शर्मा, इंस्पेक्टर क्राइम गुड्डू सिंह, तत्कालीन एसओजी प्रभारी नीरज मलिक सहित पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और सीओ स्तर से जाँच कराने का आदेश दिया।
  • अपर पुलिस अधीक्षक नगर की जाँच में भी यह पुष्टि हुई कि गिरफ्तारी 30 जुलाई को हुई, जबकि एफआईआर 31 जुलाई को दर्ज की गई थी।
  • अधिवक्ता द्वारा BNSS की धारा 175 के तहत अर्जी दी गई थी, जिसमें सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों के आधार पर कोर्ट ने यह आदेश दिया।

आरोपों की प्रकृति

  • झूठी बरामदगी दिखाकर निर्दोषों को फंसाना
  • गैरकानूनी हिरासत में रखना
  • एफआईआर और गिरफ्तारी की तारीखों में गड़बड़ी
  • कोर्ट में सबूत पेश करने पर धमकी देना

पीड़ितों की स्थिति

  • सभी पाँचों युवक करीब एक महीने तक जेल में रहे।
  • अधिवक्ता ने पहले एसएसपी से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया।
  • यह मामला यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। कोर्ट के आदेश के बाद अब इन 25 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जाँच शुरू कर दी गई है। यह कार्रवाई प्रदेश में पुलिस के दुरुपयोग और निर्दोष नागरिकों को झूठे मामलों में फंसाने के मामलों में एक मिसाल मानी जा रही है।

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