CCTV में कैद ‘हाथ-पैर काटने’ की धमकी: प्रयागराज में आरोपी का दुस्साहस, पुलिस चुप!
NBW होने के बावजूद गिरफ्तारी नहीं, धमकी का वीडियो वायरल — पीड़ित परिवार भयभीत, पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल प्रयागराज के जराँव गाँव में एक आदतन अपराधी द्वारा 'हाथ-पैर काटने' की धमकी CCTV में कैद होने के बावजूद अब तक गिरफ्तारी नहीं होना न केवल कानून व्यवस्था की विफलता है, बल्कि यह न्याय प्रक्रिया को धता बताने जैसा है। पीड़ित पक्ष की बार-बार की शिकायत और हाईकोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद पुलिस की चुप्पी से सवाल खड़े हो रहे हैं। यह वीडियो अब सामाजिक चेतना और न्याय की मांग का प्रतीक बनता जा रहा है।

प्रयागराज के हंडिया थाना क्षेत्र स्थित जराँव गाँव में अपराधी दुस्साहस की पराकाष्ठा पर उतर आए हैं। हाल ही में सामने आए एक CCTV वीडियो फुटेज में एक नामजद आरोपी ‘हाथ-पैर काटने’ जैसी जानलेवा धमकी देता हुआ साफ़ तौर पर रिकॉर्ड हुआ है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और क्षेत्र में भय व आक्रोश का वातावरण बन गया है।
वीडियो यहाँ देखें ....
पीड़ित के अनुसार, यह वही आरोपी है जिस पर पहले से ही 6 से अधिक गंभीर मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें IPC की धाराएं 147, 148, 149, 307, 308, 323, 452, 352 आदि सम्मिलित हैं। आरोपी पर गिरफ्तारी वारंट (NBW) भी निर्गत हो चुका है, लेकिन स्थानीय पुलिस की निष्क्रियता या संभावित सांठगांठ के कारण अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
पीड़ित परिवार का आरोप है कि:
- FIR दर्ज करने के एवज में पूर्व थाना प्रभारी ब्रजकिशोर गौतम द्वारा 50,000/- रिश्वत की माँग की गई थी।
- 125/ 2024 के जानलेवा हमला के प्रत्यक्षदर्शी रहे परिजन की उक्त आरोपियों के साथ 40-50 बाहरी लोगों को 26 अगस्त 2024 को भेजकर हमला में मौत का FIR आज तक दर्ज नहीं हुआ।
- आरोपियों के जमानत याचिका पर न्यायालय द्वारा माँगे जाने पर भी मेडिकल रिपोर्ट, क्राइम हिस्ट्री और केस डायरी जानबूझकर ब्रजकिशोर गौतम ने न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया।
इस वीडियो में आरोपी सीधे कैमरे की ओर देखकर यह कहता है – "हाथ पैर काट दूँगा, अगर सामने आया तो जिंदा नहीं बचेगा।" यह बयान IPC की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत संगीन अपराध है, फिर भी पुलिस की ओर से शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं, स्वतः संज्ञान लेना तो दूर की कौड़ी है।
प्रभाव और आशंका:
- इस प्रकार की खुली धमकी और पुलिस की निष्क्रियता कानून-व्यवस्था पर सीधा प्रश्नचिह्न लगाती है।
- यह न केवल पीड़ित परिवार की सुरक्षा को खतरे में डालता है, बल्कि न्याय प्रक्रिया के लिए भी घातक है।
- पीड़ित ने माननीय उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।
पीड़ित का बयान:
"जब सबूत CCTV में कैद हैं, तब भी आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। पुलिस ने उन्हें बचाने का ठेका ले लिया है क्या?"
कानूनी विशेषज्ञ की राय:
“इस तरह का वीडियो स्वयंसंज्ञा (Suo motu) लेकर कार्रवाई की मांग करता है। यदि पुलिस निष्क्रिय है तो यह न्याय में बाधा उत्पन्न करने के दायरे में आता है।”
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