मुक्तांचल के 45वें अंक का विमोचन, साहित्य और संस्कृति पर चर्चा

वक्ताओं ने शिक्षा के गिरते स्तर, बदलते सामाजिक परिवेश, अपसंस्कृति, पत्र-पत्रिकाओं के घटते प्रसार ने रचनात्मकता पर पड़ रहे प्रभाव को रेखांकित किया।

Apr 15, 2025 - 20:01
Apr 15, 2025 - 20:55
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मुक्तांचल के 45वें अंक का विमोचन, साहित्य और संस्कृति पर चर्चा
मुक्तांचल के 45वें अंक का विमोचन

विद्यार्थी मंच व गाथा प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में साहित्यिक पत्रिका मुक्तांचल के 45वें अंक का विमोचन हुआ। मुक्तांचल की संपादक डॉ. मीरा सिन्हा के बीज वक्तव्य से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। खड़गपुर से आए डॉ. पंकज साहा, मृत्युंजय श्रीवास्तव, सेराज खान बातिश, डॉ. विनय मिश्र, डॉ. प्रकाश कुमार अग्रवाल और प्राध्यापिका डॉ. विजया सिंह ने अपने विचार रखे। वक्ताओं ने शिक्षा के गिरते स्तर, बदलते सामाजिक परिवेश, अपसंस्कृति, पत्र-पत्रिकाओं के घटते प्रसार से रचनात्मकता पर पड़ रहे प्रभाव को रेखांकित किया। डॉ. विजया सिंह ने मीरा कांत के कथा साहित्य के अनछुए पहलुओं को उजागर किया। कार्यक्रम में साहित्य, शिक्षा, संस्कृति और पत्रकारिता के सामने मौजूदा चुनौतियों पर चर्चा हुई।


कक्षा 8 के छात्र स्वराज पाण्डेय ने 1977 की सैनिक क्रांति के बाद के पाकिस्तानी शासन व्यवस्था पर पत्रकार अनवर इकबाल के लिखे संस्मरण पंद्रह कोड़ेके अनूदित रिपोर्ट को पढ़ा, जिसे श्रोताओं ने सराहा। डॉ. मीरा सिन्हा ने गाथा प्रकाशनकी योजना में उपस्थित विद्वतजनों से सहयोग की अपील की और पत्रिका के भविष्य के अंकों के लिए सुझाव माँगा। पत्रिका की निरंतरता और प्रकाशन से संबंधित चुनौती पर भी मिलकर विचार-विमर्श हुआ।


इस अंक में अज्ञेय के चौथा सप्तक के कवि राजकुमार कुम्भज की नौ कविताएँ, आलोचक मृत्युंजय श्रीवास्तव का किताबें मेरी जानशीर्षक से एक बेहतरीन निबंध, रूप सिंह चंदेल की आत्मकथात्मक कहानी नौकरी की तलाश, उमा झुनझुनवाला, शिप्रा मिश्रा, शंकरानंद, जीतेंद्र जीतांशु की कविताएँ, कौशल किशोर की ध्रुवदेव मिश्र पाषाण पर लिखी संस्मृति व अन्य विविध विधाओं की साहित्यिक रचानाएँ शामिल हैं।

कवर के उस पार से’, ‘इस पार तकके स्तंभ में जनवादी कवि ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की सन 1976 व सन 2017 की   कविता विशेष उल्लेखनीय है, जो कवि के चेतना को रेखांकित करती है। कार्यक्रम में साहित्य प्रेमियों ने मुक्तांचल की निरंतरता और गुणवत्ता की सराहना की। कार्यक्रम का सफल सञ्चालन शिक्षक विनोद यादव व धन्यवाद ज्ञापन पद्माकर व्यास ने किया। 
इस कार्यक्रम में पत्रिका के प्रबंध संपादक सुशील कुमार पांडेय, शोधार्थी श्वेता शर्मा, नेहा साव, गौरव कुमार व साहित्यप्रेमी त्रिनेत्रकांत त्रिपाठी, बलराम साव, राजदेव मिश्र, रामनरेश पांडेय, शशि साव तथा अन्य लोग उपस्थित थे।

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