ब्लड शुगर कंट्रोल करने का आयुर्वेदिक नुस्खा: मेथी, कलौंजी और चने का पानी - मिट्टी के बर्तन में भीगोएं, सुबह खाली पेट सेवन करें
डायबिटीज को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञ सुभाष गोयल द्वारा सुझाया गया एक सरल, सुलभ और घरेलू उपाय तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। उन्होंने बताया कि यदि प्रतिदिन मिट्टी के बर्तन में मेथी दाना, कलौंजी और काले चने को रात भर भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन किया जाए, तो यह ब्लड शुगर को स्थिर रखने में अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार ये तीनों सामग्री मेटाबॉलिज्म सुधारने, इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने और पाचन को सुदृढ़ करने में सहायक होती हैं।

डायबिटीज एक दीर्घकालिक मेटाबॉलिक रोग है, जिसकी जड़ें आधुनिक जीवनशैली, असंतुलित आहार और मानसिक तनाव में छिपी होती हैं। इस बीमारी में शरीर की इंसुलिन उत्पादन या उसकी क्रियाशीलता प्रभावित होती है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से ऊपर चला जाता है। ऐसे में आयुर्वेद द्वारा सुझाए गए कुछ घरेलू उपाय दवाओं के पूरक रूप में बहुत कारगर हो सकते हैं।
वर्धन आयुर्वेदिक और हर्बल मेडिसिन के संस्थापक सुभाष गोयल बताते हैं कि यदि आपकी फास्टिंग शुगर या भोजन के बाद की शुगर अधिक रहती है, तो आप रसोई में उपलब्ध तीन असरदार सामग्रियों – मेथी दाना, कलौंजी, और काला चना का प्रयोग कर सकते हैं।
उपयोग विधि:
एक मिट्टी का बर्तन लें।
उसमें डालें:
• 20 दाने मेथी
• 10 दाने कलौंजी
• 30–40 दाने काले चने
इन सबको पानी में रातभर भिगो दें।
सुबह उठकर खाली पेट इन तीनों को चबा-चबाकर खाएं और बचा हुआ पानी धीरे-धीरे पिएं।
इस प्रक्रिया को लगातार एक महीने अपनाएं, और फिर देखें ब्लड शुगर स्तर में कितना सुधार आता है।
आयुर्वेदिक लाभ का विज्ञान:
1. मेथी दाना (Fenugreek Seeds):
इसमें मौजूद गैलेक्टोमेन्नन फाइबर शुगर के अवशोषण को धीमा करता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाता है। यह मेटाबॉलिज्म को गति देता है और पाचन में सुधार करता है।
2. कलौंजी (Nigella Seeds):
यह वात और कफ को संतुलित करता है। इसमें पाए जाने वाला थाइमोक्विनोन (Thymoquinone) बीटा सेल्स को सुरक्षा प्रदान करता है और इंसुलिन उत्पादन को प्रोत्साहित करता है।
3. काला चना (Black Chickpeas):
इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे शुगर धीरे-धीरे बढ़ती है। यह फाइबर और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है, जो भूख को नियंत्रित करता है और लंबे समय तक ऊर्जा देता है।
मिट्टी का बर्तन क्यों?
मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, मैग्नीशियम, कैल्शियम आदि पानी में समाहित होकर शरीर को प्राकृतिक रूप से लाभ पहुंचाते हैं। माना जाता है कि इंसान के शरीर को 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिनमें से कई मिट्टी से ही प्राप्त होते हैं।
अगर आप ब्लड शुगर को दवाओं के अतिरिक्त प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीकों से भी संतुलित करना चाहते हैं, तो यह तीन तत्वों वाला प्रयोगात्मक नुस्खा आपके लिए लाभदायक हो सकता है। लेकिन ध्यान रहे, यह उपाय चिकित्सकीय सलाह और नियमित जांच के साथ ही अपनाया जाना चाहिए।
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