EWS आरक्षण: झुनझुना या वास्तविक संरक्षण?
EWS आरक्षण सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए एक सीमित और प्रतीकात्मक सुविधा है, जिसमें उम्र, प्रयास, फीस माफी, प्रमोशन और अन्य कई लाभ नहीं मिलते, जो अन्य आरक्षित वर्गों को मिलते हैं। यह आरक्षण केवल शिक्षा और सरकारी नौकरियों में प्रवेश तक सीमित है। राजनीतिक दलों ने इसे वोटबैंक के लिए इस्तेमाल किया है, लेकिन इससे समाज में असंतोष और नई असमानताएं भी बढ़ी हैं। सार्थक सामाजिक न्याय के लिए अब जरूरत है कि आरक्षण की बजाय हर जरूरतमंद को संरक्षण देने की नीति अपनाई जाए, जिससे सभी वंचित तबकों को समान अवसर मिल सकें।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आरक्षण की शुरुआत को लेकर समाज में कई भ्रांतियां और असंतोष व्याप्त हैं। अक्सर यह कहा जाता है कि EWS आरक्षण मात्र एक 'झुनझुना' है, जिससे सामान्य वर्ग को फुसलाया जा रहा है, जबकि वास्तविक लाभ सीमित हैं। यहाँ हम तथ्यों के आधार पर EWS आरक्षण की वास्तविकता, सीमाएँ और इसके सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
EWS को मिलने वाले लाभ: मिथक बनाम हकीकत
1. उम्र में छूट
EWS अभ्यर्थियों को सामान्यतः उम्र में छूट नहीं मिलती थी, लेकिन हाल ही में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने UPSC परीक्षा में EWS को 3 साल की आयु सीमा में छूट देने का अंतरिम आदेश दिया है। यह छूट अन्य आरक्षित वर्गों की तरह सार्वभौमिक नहीं है, बल्कि कानूनी हस्तक्षेप के बाद ही मिली है।
2. इंटरव्यू में आने-जाने का भाड़ा
सरकारी नौकरियों में इंटरव्यू के लिए बुलाए गए EWS अभ्यर्थियों को SC/ST/OBC की तरह यात्रा भत्ता (Travelling Allowance) मिलता है, बशर्ते वे आवश्यक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करें।
3. अटेम्प्ट में छूट
EWS को परीक्षा में प्रयास (attempt) की संख्या में कोई अतिरिक्त छूट नहीं दी जाती, जबकि SC/ST/OBC को यह सुविधा मिलती है।
4. मुफ्त कोचिंग व छात्रावास
सरकार की फ्री कोचिंग योजना में EWS छात्रों को भी SC/OBC के साथ शामिल किया गया है, जिसमें मुफ्त कोचिंग और मासिक वजीफा (₹6,000 बाहर से आने वालों के लिए, ₹3,000 स्थानीय के लिए) मिलता है। हालांकि, मुफ्त छात्रावास की व्यवस्था अलग से नहीं है, लेकिन वजीफा आंशिक राहत देता है।
5. स्कूल/कॉलेज में दाखिले में सीट रिजर्वेशन
EWS के लिए सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों (IIT, IIM, NIT, मेडिकल कॉलेज आदि) में 10% आरक्षण है। यह आरक्षण केवल सामान्य (General) वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए है, SC/ST/OBC इसमें शामिल नहीं हैं।
6. फीस माफी, पॉकेट मनी, प्रमोशन में आरक्षण
- EWS को स्कूल/कॉलेज में दाखिले के बाद फीस माफी या सरकारी पॉकेट मनी की कोई सार्वभौमिक व्यवस्था नहीं है।
- प्रमोशन में आरक्षण का लाभ EWS को नहीं मिलता, यह केवल SC/ST के लिए है।
EWS आरक्षण: सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषण
EWS आरक्षण की सीमाएँ
- EWS आरक्षण केवल शिक्षा और सरकारी नौकरियों में प्रवेश तक सीमित है, जबकि SC/ST/OBC को आयु, प्रयास, प्रमोशन, फीस माफी, छात्रावास, पॉकेट मनी आदि में भी छूट मिलती है।
- EWS के लिए आरक्षण का आधार केवल आर्थिक है, जबकि अन्य आरक्षण सामाजिक-ऐतिहासिक वंचना पर आधारित हैं।
- EWS प्रमाणपत्र में फर्जीवाड़े की भी समस्या सामने आई है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
EWS आरक्षण को कई विश्लेषक फ्रीबी पॉलिटिक्स और वोटबैंक appeasement का हिस्सा मानते हैं, जिससे आरक्षण नीति का मूल उद्देश्य (सामाजिक न्याय) कमजोर होता है। चुनावी राजनीति में आरक्षण अब एक ‘लोकलुभावन वादा’ बन गया है, जिससे समाज में नई असमानताएँ और असंतोष जन्म ले रहा है।
सामाजिक प्रभाव
- EWS आरक्षण ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को कुछ राहत दी है, लेकिन यह राहत सीमित और प्रतीकात्मक है।
- इससे सामाजिक न्याय की अवधारणा में बदलाव आया है, लेकिन यह बहस जारी है कि क्या केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण देना न्यायसंगत है।
समाधान क्या हो?
आरक्षण के स्थान पर हर जरूरतमंद (चाहे जाति, धर्म, क्षेत्र या वर्ग कोई भी हो) को लक्षित संरक्षण (Targeted Social Protection) की नीति बनाना समय की माँग है। इससे न केवल वास्तविक जरूरतमंदों को लाभ मिलेगा, बल्कि समाज में व्याप्त असंतोष और विभाजन भी कम होगा।
"आइए आरक्षण के स्थान पर हर जरूरतमन्द को संरक्षण की माँग करें।"
यह दृष्टिकोण ही भारत को समावेशी, न्यायपूर्ण और प्रगतिशील समाज की ओर ले जा सकता है।
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