NSG इंस्पेक्टर के गंभीर आरोपों पर पुलिस का पलटवार, मामला गरमाया
मैनपुरी, उत्तर प्रदेश में NSG इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह द्वारा अपने परिवार के उत्पीड़न और स्थानीय पुलिस की निष्क्रियता के आरोपों ने विवाद खड़ा कर दिया है। पुलिस ने पलटवार करते हुए इंस्पेक्टर के भाई के खिलाफ दबंगई की शिकायतों का हवाला दिया, दावा किया कि आरोप भाई को बचाने की कोशिश हैं। मामला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वायरल हो गया, जहाँ लोगों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए और निष्पक्ष जाँच की मांग की। मैनपुरी पुलिस ने जाँच शुरू की, लेकिन यह मामला प्रशासन और राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के बीच समन्वय की कमी को उजागर करता है।
मैनपुरी, 16 मई 2025: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इंस्पेक्टर सिंह ने दावा किया है कि उनके परिवार को गाँव के कुछ दबंगों द्वारा लगातार उत्पीड़न, गाली-गलौज और मारपीट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने स्थानीय पुलिस पर इन शिकायतों के प्रति उदासीन रवैया अपनाने और कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है।
हालाँकि, पुलिस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पलटवार किया है। पुलिस का कहना है कि इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह के भाई के खिलाफ स्थानीय लोगों ने शिकायत दर्ज की है, और इंस्पेक्टर द्वारा लगाए गए आरोप अपने भाई को बचाने की कोशिश मात्र हैं। पुलिस के इस बयान ने मामले को और जटिल कर दिया है, जिससे दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया है।
मामले की पृष्ठभूमि
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मामले ने तेजी से तूल पकड़ा, जहाँ कई यूजर्स ने इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह के पक्ष में आवाज उठाई और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। इंस्पेक्टर सिंह ने अपनी शिकायत में कहा, "मेरे परिवार को गाँव के दबंगों द्वारा आए दिन परेशान किया जाता है। मैं देश की सेवा में तैनात हूँ, लेकिन मेरे परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने में स्थानीय पुलिस नाकाम रही है।"
दूसरी ओर, मैनपुरी पुलिस ने दावा किया कि इंस्पेक्टर के भाई के खिलाफ दबंगई और मारपीट की शिकायतें मिली हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हमने दोनों पक्षों की शिकायतों की जाँच शुरू कर दी है। इंस्पेक्टर के आरोपों को गंभीरता से लिया जा रहा है, लेकिन उनके भाई के खिलाफ भी ठोस शिकायतें हैं, जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।"
स्थानीय लोगों का क्या कहना है?
मैनपुरी के स्थानीय निवासियों के बीच इस मामले को लेकर मतभेद देखने को मिल रहे हैं। कुछ लोग इंस्पेक्टर के परिवार के साथ सहानुभूति जता रहे हैं और मानते हैं कि उनकी शिकायतों पर कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, कुछ अन्य का कहना है कि इंस्पेक्टर का परिवार भी गाँव में विवादों में शामिल रहा है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "यह पुरानी रंजिश का मामला है। दोनों पक्षों के बीच पहले भी झगड़े हो चुके हैं।"
मामले का सोशल मीडिया पर प्रभाव
X पर इस मुद्दे ने व्यापक चर्चा छेड़ दी है। कई यूजर्स ने मैनपुरी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और माँग की कि एक NSG इंस्पेक्टर जैसे राष्ट्रीय सेवा में तैनात व्यक्ति की शिकायत को गंभीरता से लिया जाए। एक यूजर ने लिखा, "जो लोग देश की सुरक्षा करते हैं, उनके परिवार को इस तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है। यह शर्मनाक है।" वहीं, कुछ यूजर्स ने पुलिस के दावों का समर्थन करते हुए निष्पक्ष जाँच की माँग की।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
मैनपुरी के पुलिस अधीक्षक ने इस मामले पर आधिकारिक बयान में कहा, "हम इस मामले की निष्पक्ष जाँच कर रहे हैं। सभी पक्षों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं, और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।" साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी पक्ष को कानून से ऊपर नहीं माना जाएगा, चाहे वह NSG इंस्पेक्टर हो या कोई आम नागरिक।
क्या है आगे की राह?
यह मामला अब स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में निष्पक्ष और त्वरित जाँच जरूरी है, ताकि दोनों पक्षों को न्याय मिल सके। साथ ही, यह मामला पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के बीच समन्वय की कमी को भी उजागर करता है।
सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय पत्रकार रमेश यादव कहते हैं, "यह मामला केवल एक परिवार की शिकायत तक सीमित नहीं है। यह सिस्टम की उस खामी को दर्शाता है, जहाँ एक राष्ट्रीय सेवा में तैनात व्यक्ति को अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेना पड़ रहा है।"
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