मातृत्व की अच्छाई, बेटी-बहु का भेद और महिला ही महिला की दुश्मन की हकीकत

मातृ दिवस हमें चिंतन का अवसर देता है। हमें बेटी-बहु के भेद को मिटाना होगा और 'महिला ही महिला की दुश्मन' की धारणा को बदलना होगा। माताओं को हिंसा और सामाजिक दबावों से मुक्त करना होगा। इस मातृ दिवस पर, आइए एक ऐसा समाज बनाने का संकल्प लें, जहाँ मातृत्व प्रेम और समानता का आधार बने।

May 11, 2025 - 09:00
May 12, 2025 - 12:35
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मातृत्व की अच्छाई, बेटी-बहु का भेद और महिला ही महिला की दुश्मन की हकीकत
मातृ दिवस

मातृ दिवस, जो हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है, मातृत्व के अनमोल रिश्ते को सम्मान देने का अवसर है। इस साल, 11 मई 2025 को भारत सहित विश्व भर में मातृ दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन माँ की महानता का उत्सव तो है, लेकिन यह हमें उन सामाजिक कुरीतियों पर चिंतन करने का मौका भी देता है जो मातृत्व को प्रभावित करती हैं। बेटी-बहु के बीच भेदभाव और यह धारणा कि 'महिला ही महिला की सबसे बड़ी दुश्मन होती है', मातृत्व के अनुभव को जटिल बनाती है। हाल की घटनाओं के संदर्भ में यह लेख मातृत्व की अच्छाई और इन चुनौतियों की पड़ताल करता है।

मातृत्व की अच्छाई: प्रेम की अमर शक्ति

मातृत्व प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक है। एक माँ अपने बच्चों के लिए हर कठिनाई को पार कर जाती है। हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान एक माँ की कहानी सामने आई। हिंसा में अपने पति को खोने के बाद भी, उसने अपने दो बच्चों को आग की लपटों से बचाने के लिए जान जोखिम में डाल दी। यह मातृत्व की वह शक्ति है जो हमें प्रेरित करती है।

मातृ दिवस पर सोशल मीडिया पर कई कहानियाँ वायरल हुईं। कोलकाता की एक माँ ने अपने बेटे को WBJEE 2025 की तैयारी में मदद करने के लिए रात-रात भर जागकर उसका हौसला बढ़ाया। बेटे ने परीक्षा पास की और सफलता का श्रेय अपनी माँ को दिया। यह मातृत्व की अच्छाई है जो सपनों को पंख देती है।

बेटी-बहु में भेद: मातृत्व की कड़वी सच्चाई

मातृत्व की इस पवित्र छवि के बीच एक कड़वा सच भी है बेटी और बहु के बीच भेदभाव। भारतीय समाज में माँ अपनी बेटी को असीम प्रेम देती है, लेकिन वही माँ सास बनकर बहु को अक्सर उसी प्रेम से वंचित कर देती है। हाल ही में दिल्ली में एक 28 वर्षीय बहु ने सोशल मीडिया पर अपनी सास की प्रताड़ना की कहानी साझा की। उसकी सास उसे ताने देती थी, "मेरी बेटी होती तो यह काम बेहतर करती।" यह पोस्ट X पर वायरल हुई और कई महिलाओं ने अपनी ऐसी ही कहानियाँ साझा कीं। यह भेदभाव परिवारों में तनाव पैदा करता है और मातृत्व की छवि को धूमिल करता है।

महिला ही महिला की दुश्मन: एक गंभीर चुनौती

'महिला ही महिला की सबसे बड़ी दुश्मन होती है' यह कहावत मातृत्व के संदर्भ में भी सत्य प्रतीत होती है। सास-बहु के रिश्तों में यह तनाव आम है। कोलकाता में एक कामकाजी माँ ने अपनी सास की आलोचना का दर्द साझा किया। उसकी सास ने उसे बच्चे की देखभाल में 'लापरवाह' कहा, क्योंकि वह नौकरी के कारण पूरा समय नहीं दे पाती। यह पोस्ट वायरल हुई और कई माताओं ने अपनी कहानियाँ साझा कीं। कई बार माताएँ अपनी बेटियों पर भी सामाजिक दबाव डालती हैं, जैसे शादी के लिए मजबूर करना। यह दबाव मातृत्व को बोझ में बदल देता है।

हाल की घटनाएँ: मातृत्व पर बढ़ता दबाव

हाल की घटनाओं ने मातृत्व की चुनौतियाँ बढ़ाई हैं। पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद माताएँ अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। कोलकाता में 9 मई 2025 को एक माँ ने सास की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या का प्रयास किया, जिसने सास-बहु रिश्तों पर सवाल खड़े किए।

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सुशील कुमार पाण्डेय मैं, अपने देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनने की यात्रा पर हूँ, यही मेरी पहचान है I