IIT बॉम्बे का सोलर स्टोव इनोवेशन : ग्रामीण भारत में स्वच्छ ऊर्जा की क्रांति , वायरल की जाने सचाई...

सोशल मीडिया पर हाल ही में एक पोस्ट वायरल हुई, जिसमें दावा किया गया कि IIT बॉम्बे के छात्रों ने एक ऐसा सोलर स्टोव बनाया है जो 15 मिनट में खाना पका सकता है। यह तकनीक ग्रामीण भारत में गैस की कमी से जूझ रहे लोगों के लिए एक समाधान के रूप में प्रस्तुत की गई। पोस्ट में यह भी कहा गया कि यह स्टोव सौर ऊर्जा पर आधारित है और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है। हालांकि, इस दावे की सत्यता की जाँच करने पर स्थिति कुछ अलग नजर आती है। IIT बॉम्बे के सोलर स्टोव से संबंधित कई परियोजनाओं की जानकारी उपलब्ध है, लेकिन 15 मिनट में खाना पकाने का कोई ठोस प्रमाण हाल के रिकॉर्ड में नहीं मिलता।

May 12, 2025 - 08:45
May 12, 2025 - 08:47
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IIT बॉम्बे का सोलर स्टोव इनोवेशन : ग्रामीण भारत में स्वच्छ ऊर्जा की क्रांति , वायरल की जाने सचाई...
वायरल दावे की सचाई

IIT बॉम्बे ने सोलर स्टोव के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करते हुए ग्रामीण भारत में स्वच्छ और किफायती ऊर्जा समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। सोलर ऊर्जा पर आधारित इस तकनीक ने मध्य प्रदेश के बांचा गाँव में सभी 75 घरों को सोलर स्टोव से लैस कर एक मिसाल कायम की है। यह स्टोव न केवल लकड़ी और LPG पर निर्भरता को खत्म करता है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य को भी लाभ पहुँचाता है। हालांकि, सोशल मीडिया पर 15 मिनट में खाना पकाने के दावे अतिशयोक्तिपूर्ण पाए गए हैं। वास्तव में, यह तकनीक पारंपरिक तरीकों से तेज है, लेकिन समय 20-30 मिनट के आसपास है। फिर भी, यह पहल ग्रामीण भारत में ऊर्जा संकट को कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।

IIT बॉम्बे ने सोलर ऊर्जा पर आधारित कुकिंग सॉल्यूशंस पर कई वर्षों से काम किया है। 2018 में, प्रोफेसर चेतन सोलंकी के नेतृत्व में 'सोलर PV कुक-स्टोव' विकसित किया गया, जिसे ONGC के 'सोलर चूल्हा चैलेंज' में 10 लाख रुपये का पुरस्कार मिला। इस स्टोव को सोलर ऊर्जा से संचालित इंडक्शन कुक-टॉप के रूप में डिज़ाइन किया गया, जो 3 यूनिट बिजली पैदा कर सकता है एक 5 सदस्यीय परिवार के लिए दिन में तीन बार खाना पकाने के लिए पर्याप्त।

2019 में, मध्य प्रदेश के बेतूल जिले के बांचा गाँव में IIT बॉम्बे की पहल से सभी 75 घरों में सोलर स्टोव स्थापित किए गए। इस परियोजना ने गाँव को लकड़ी और LPG सिलेंडर से मुक्त कर दिया, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों को लाभ हुआ। गाँववासियों ने बताया कि अब उन्हें जंगल से लकड़ी लाने की जरूरत नहीं पड़ती, और खाना पकाने में समय और मेहनत की बचत हुई है।

हालांकि, हाल ही में सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि यह स्टोव 15 मिनट में खाना पका सकता है। जाँच  में यह दावा अतिशयोक्तिपूर्ण पाया गया। सोलर PV कुक-स्टोव में 1 kW इंडक्शन रिंग्स का उपयोग किया गया है, जो 160 डिग्री सेल्सियस तक तापमान उत्पन्न कर सकता है। यह भारतीय व्यंजनों को पकाने में सक्षम है, लेकिन 15 मिनट में खाना पकाने का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। तुलनात्मक रूप से, LPG स्टोव पर चावल या दाल पकाने में 20-30 मिनट लगते हैं। सोलर स्टोव तेज हो सकता है, लेकिन समय 20-30 मिनट के आसपास होने की संभावना है।

यह तकनीक ग्रामीण भारत के लिए वरदान है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में हर साल 45 लाख लोग इनडोर कुकिंग स्मोक से होने वाली बीमारियों से मरते हैं। सोलर स्टोव लकड़ी के उपयोग और CO2 उत्सर्जन को कम करता है। हालांकि, लागत (12,000-50,000 रुपये) और बारिश के दिनों में सौर ऊर्जा की उपलब्धता चुनौतियाँ हैं।

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