विवाहित महिला शादी के झूठे वादे पर यौन संबंध का दावा नहीं कर सकती: केरल हाईकोर्ट
केरल उच्च न्यायालय ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक विवाहित महिला यह दावा नहीं कर सकती कि उसे शादी का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया। हालांकि न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि बलात्कार या धोखे से बनाए गए यौन संबंध से संबंधित हर मामले को उसके विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर परखा जाना चाहिए। यह टिप्पणी बीएनएस की धारा 69 (धोखे से यौन संबंध) और धारा 84 (विवाहित महिला को बहलाना) के तहत दर्ज एक आपराधिक मामले में की गई, जिसमें आरोपी को अंततः जमानत प्रदान की गई।

केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में अपने एक आदेश में स्पष्ट किया कि यदि कोई महिला पहले से विवाहिता है, तो वह यह दावा नहीं कर सकती कि किसी व्यक्ति ने उससे शादी का झूठा वादा कर धोखे से यौन संबंध बनाया।
न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस की एकल पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में सहमति की प्रकृति और परिस्थितियाँ अहम होती हैं। विशेष रूप से तब जब दोनों पक्ष एक स्थायी विवाह के अस्तित्व से परिचित हों, उस स्थिति में यह मानना कठिन है कि यौन संबंध केवल शादी के वादे के आधार पर स्थापित हुए थे।
यह निर्णय एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जहां याचिकाकर्ता पर भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 69 (शादी के झूठे वादे से यौन संबंध बनाना) और धारा 84 (विवाहित महिला को बहलाना) के तहत आरोप लगाए गए थे।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आरोपी ने महिला से शादी का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाए और ₹2.5 लाख उधार लेकर उसकी तस्वीरें और वीडियो सार्वजनिक करने की धमकी दी। वह 13 जून से जेल में बंद है।
याचिकाकर्ता के वकीलों, अमीन हसन के और रेबिन विंसेंट ग्रेलन ने दलील दी कि ये आरोप वित्तीय लेन-देन से उपजे हैं और उन्हें दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
न्यायालय ने माना कि चूंकि महिला पहले से विवाहित थी, इसलिए शादी के झूठे वादे के आधार पर धारा 69 के आरोप प्रथम दृष्टया संदिग्ध प्रतीत होते हैं। धारा 84 के तहत आरोप को अदालत ने जमानतीय माना और याचिकाकर्ता को जमानत प्रदान कर दी।
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