इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी: “यह अस्पताल नहीं, शवगृह है”
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल की भयावह स्थिति पर सख्त टिप्पणी करते हुए इसे 'शवगृह' करार दिया। न्यायालय ने सरकारी अस्पतालों को निजी मेडिकल माफिया के कब्जे में बताया और साफ-साफ कहा कि चिकित्सा सेवाएँ पूरी तरह ध्वस्त हैं। कोर्ट ने नगर निगम, जिलाधिकारी, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस को 48 घंटे में कठोर कार्यवाही के निर्देश दिए और अगली सुनवाई में वरिष्ठ अधिकारियों की सीधी जवाबदेही तय की।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित स्वरूप रानी नेहरू (एसआरएन) अस्पताल को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो तीखी टिप्पणी की है, वह न केवल प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था पर कठोर सवाल खड़े करती है, बल्कि सरकारी व्यवस्था और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को भी कटघरे में खड़ा करती है।
कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रयागराज की चिकित्सा व्यवस्था मेडिकल माफिया और उनके दलालों के चंगुल में है, जो सामान्य नागरिकों को प्राइवेट अस्पतालों में ठेलते हैं।
न्याय मित्र की रिपोर्ट में क्या सामने आया?
अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र (Amicus Curiae) की रिपोर्ट में एसआरएन अस्पताल की हालत को 'भयावह' बताया गया।
उल्लेख किया गया:
* परिसर में घूमते प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर के एजेंट
* डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस
* स्वास्थ्य सेवाओं की जर्जर स्थिति
* अस्पताल स्टाफ की उदासीनता
महाकुंभ 2025 में भी चिकित्सा व्यवस्था विफल
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि महाकुंभ जैसे अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आयोजन में करोड़ों श्रद्धालु आए, फिर भी चिकित्सा सेवाएँ असफल रहीं।
"कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई, यह सौभाग्य था—not administration का सामर्थ्य," कोर्ट ने कहा।
सरकारी-निजी गठजोड़: जनता की जेब पर हमला
* डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस और निजी अस्पतालों से मिलीभगत ने सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को पूरी तरह खोखला कर दिया है।
* जनप्रतिनिधियों और राज्य सरकार की निष्क्रियता ने जनता को लूट की स्थिति में डाल दिया है।
कोर्ट के निर्देश: 48 घंटे में कार्रवाई करें
1. नगर आयुक्त 48 घंटे में अस्पताल की साफ-सफाई कराएँ।
2. जिलाधिकारी डॉक्टरों की ओपीडी समय सारणी सभी अखबारों में प्रकाशित कराएँ।
3. सीसीटीवी कैमरों की मरम्मत और निगरानी व्यवस्था तत्काल प्रभाव से दुरुस्त हो।
4. प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की निगरानी हेतु विशेष टीम गठित हो।
5. अवैध मेडिकल दुकानों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
6. जन औषधि केंद्र सुबह 8 से शाम 6 बजे तक अनिवार्य रूप से खुले रहें।
7. मेडिकल कंपनी के प्रतिनिधियों को ओपीडी समय में प्रवेश न दिया जाए।
8. मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मैदान को निजी समारोहों के लिए न दिया जाए।
9. पुलिस आयुक्त अस्पताल को पर्याप्त पुलिस बल मुहैया कराएँ।
अगली सुनवाई:
29 मई 2025, जिसमें अस्पताल अधीक्षक, डिप्टी एसआईसी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य की गई है।
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