ऑपरेशन सिंदूर: अंतरराष्ट्रीय राजनेताओं की प्रतिक्रियाएँ और वैश्विक मंच पर गूँज
6-7 मई 2025 की रात भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर की गई सटीक एयरस्ट्राइक, जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया, ने न केवल दक्षिण एशिया में तनाव को बढ़ाया, बल्कि वैश्विक मंच पर भी तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया। भारतीय सेना ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के ठिकानों को निशाना बनाया, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने संयम, निंदा और समर्थन जैसे विभिन्न रुख अपनाए।

पाकिस्तान: तीखी निंदा और जवाबी कार्रवाई की धमकी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऑपरेशन सिंदूर को ‘कायराना’ और ‘युद्ध की कार्रवाई’ करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "दुश्मन ने पाकिस्तान की पांच जगहों पर हमला किया। हमें जवाबी कार्रवाई का पूरा हक है।" पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि हमले में दो मस्जिदें और एक बच्चा प्रभावित हुआ, और अंतरराष्ट्रीय मीडिया को साइट्स का दौरा करने की चुनौती दी। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में इस मुद्दे को उठाया, भारत पर नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। हालांकि, 7 मई 2025 तक कोई प्रत्यक्ष सैन्य जवाबी कार्रवाई की पुष्टि नहीं हुई। पाकिस्तान की सैन्य शाखा ISPR के लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने इसे "आधी रात का कायराना हमला" बताया।
अमेरिका: संयम की अपील और कूटनीतिक मध्यस्थता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की, यह कहते हुए कि "उम्मीद है जल्द तनाव खत्म होगा।" अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बातचीत की, जिसमें भारत ने ऑपरेशन की जानकारी साझा की। अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को समझा, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता पर जोर दिया। विदेश विभाग के एक बयान में कहा गया, "हम भारत और पाकिस्तान से तनाव कम करने और बातचीत के जरिए समाधान तलाशने का आग्रह करते हैं।"
चीन: 'दुखद' कार्रवाई और तटस्थ रुख
चीन, जो पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है, ने ऑपरेशन सिंदूर को "खेदजनक" और "दुखद" बताया। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "हम दोनों पक्षों से शांति और स्थिरता के लिए संयम बरतने का आग्रह करते हैं।" कुछ भारतीय विश्लेषकों ने इस बयान को पक्षपातपूर्ण माना, क्योंकि चीन ने पहलगाम हमले पर कोई टिप्पणी नहीं की थी। X पर उपयोगकर्ताओं ने भी इस दोहरे रवैये की आलोचना की, एक पोस्ट में लिखा, "जब आतंकी हमला होता है, तो चीन चुप रहता है।"
इज़राइल: भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन
इज़राइल ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का खुलकर समर्थन किया। इज़राइली विदेश मंत्रालय ने कहा, "आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के कदम उचित हैं। हम उनके साथ एकजुटता से खड़े हैं।" यह समर्थन भारत-इज़राइल के मजबूत सामरिक संबंधों को दर्शाता है, खासकर आतंकवाद विरोधी अभियानों में।
यूएई और सऊदी अरब: संयम और मध्यस्थता की पेशकश
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और सऊदी अरब, जो भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ अच्छे संबंध रखते हैं, ने संयम बरतने की अपील की। यूएई के विदेश मंत्रालय ने कहा, "क्षेत्रीय स्थिरता के लिए तनाव कम करना जरूरी है। हम मध्यस्थता के लिए तैयार हैं।" सऊदी अरब ने भी इसी तरह का बयान जारी किया, जिसमें दोनों देशों से बातचीत के जरिए समाधान की बात कही गई। भारत ने दोनों देशों को ऑपरेशन की जानकारी पहले ही दे दी थी, जिसे कूटनीतिक पारदर्शिता का कदम माना गया।
रूस: तटस्थ और संतुलित रुख
रूस, जो भारत का लंबे समय से सहयोगी है, ने तटस्थ रुख अपनाया। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा, "हम क्षेत्र में शांति चाहते हैं और दोनों पक्षों से संयम की उम्मीद करते हैं।" भारत ने रूस को ऑपरेशन की जानकारी दी थी, जिसे मॉस्को ने स्वीकार किया, लेकिन उसने खुलकर समर्थन या निंदा से परहेज किया।
संयुक्त राष्ट्र: तनाव कम करने की अपील
संयुक्त राष्ट्र ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद तनाव कम करने की अपील की। पाकिस्तान ने UNSC में भारत के खिलाफ शिकायत दर्ज की, लेकिन भारत ने इसे आतंकवाद के खिलाफ "नपा-तुला और गैर-उकसावे वाला" ऑपरेशन बताया। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "हमने केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, किसी सैन्य या नागरिक ढांचे को नहीं।"
वैश्विक मीडिया और विश्लेषकों का नजरिया
वैश्विक मीडिया में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। बीबीसी और रॉयटर्स ने इसे भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का हिस्सा बताया, लेकिन नागरिक हताहतों के पाकिस्तानी दावों को भी उजागर किया। अल जज़ीरा ने पाकिस्तान के रुख को प्रमुखता दी, जबकि सीएनएन ने भारत के कूटनीतिक प्रयासों, जैसे अमेरिका और यूएई को जानकारी देने, को सराहा। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम आतंकवाद पर उसकी जीरो टॉलरेंस नीति है।
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