जनसुनवाई में पुलिस की आख्या पर गंभीर सवाल
जनसुनवाई पोर्टल पर सुशील कुमार पाण्डेय द्वारा पुलिस के खिलाफ की गई शिकायत (संख्या: 40017525012207) में गंभीर सवाल उठाए गए हैं।

जनसुनवाई पोर्टल पर सुशील कुमार पाण्डेय द्वारा पुलिस के खिलाफ की गई शिकायत (संख्या: 40017525012207) में गंभीर सवाल उठाए गए हैं। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि हंडिया थाना प्रभारी द्वारा CRPC की धारा 41(1) के तहत नोटिस जारी करने के बाद, केस से जुड़े तमाम ऑडियो-वीडियो साक्ष्य और लिखित बयान पुलिस को सौंपे गए। बावजूद इसके, पुलिस ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63(4C) के तहत जरूरी प्रमाणपत्र तैयार नहीं किया और न ही जब्ती सूची दी गई।
शिकायतकर्ता ने यह भी जानना चाहा है कि उनके द्वारा दिए गए साक्ष्य और बयान केस रिकॉर्ड में दर्ज किए गए या नहीं। मामले की जाँच क्षेत्राधिकारी/सहायक पुलिस आयुक्त, फूलपुर के स्तर पर हुई, जिसमें पुलिस ने 7 अप्रैल 2025 को अपनी आख्या प्रस्तुत करते हुए केस को 'निस्तारित' (Disposal) घोषित किया है।
प्रमुख बिंदु:
- शिकायतकर्ता ने पुलिस प्रक्रिया में पारदर्शिता और साक्ष्य की विधिवत रिकॉर्डिंग पर सवाल उठाए।
- पुलिस ने निर्धारित समय के भीतर आख्या दी, लेकिन शिकायतकर्ता को संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
- केस में डिजिटल साक्ष्य और लिखित बयान की स्वीकार्यता व प्रक्रिया पर अभी भी संशय बना हुआ है।
विश्लेषण:
यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस की जाँच प्रक्रिया, साक्ष्य की रिकॉर्डिंग और शिकायतकर्ता के अधिकारों को लेकर कई अहम सवाल खड़े करता है। पुलिस को चाहिए कि वे ऐसे मामलों में पारदर्शिता, जवाबदेही और शिकायतकर्ता की संतुष्टि के पहलुओं को उजागर करें, ताकि कानून का सही पालन हो सके और आमजन का भरोसा पुलिस पर बना रहे।
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